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दमोह

करोड़ों के नरेगा काम, नहीं मिला हर हाथ को काम

कपिलधारा कुआं में हुई गड़बड़ी

दमोहOct 15, 2019 / 09:26 pm

Rajesh Kumar Pandey

Millions of NREGA work, not every hand got work

बकाया भुगतान के लिए नगर परिषद के बाहर सफाइकर्मियों का प्रदर्शन,बकाया भुगतान के लिए नगर परिषद के बाहर सफाइकर्मियों का प्रदर्शन,Millions of NREGA work, not every hand got work

दमोह. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत जिले में बीत रहे पंचायती कार्यकाल में पानी की तरह रुपए बहाए गए, लेकिन न तो गांवों में हर हाथ को काम मिला और न ही अन्य कार्य हुए। कूपधारा के निर्माण के मामले में कागजी वर्क हुआ, मौके पर कुआं धंसके मिले। क्रीड़ा आंगन पर भी करोड़ों बहाए गए लेकिन गांवों में बच्चों को खेलने एक भी खेल मैदान नहीं है।
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत दमोह जिले में 1 एक लाख 2 हजार 917 कार्य शुरु किए गए थे, जिसमें से 90 हजार 565 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। जिले भर में कुल जॉब कार्ड 1 लाख 60 हजार 994 के जॉब कार्ड बनाए गए। लेकिन काम केवल 65 हजार 318 के नाम पर है। जिसमें 40.५७ प्रतिशत है, लेकिन यह सरकारी रिकार्ड है, सूत्रों का दावा है कि मस्टर रोल फर्जी भरे गए, जिससे मनरेगा के तहत महज 15 से 20 फीसदी लोगों को ही अल्प समय काम मिल पाया है। गांव में ही काम न मिलने के कारण मजदूर वर्ग महानगरों में पलायन कर गया है। गांव के गांव खाली हैं, अब दीपावली के समय यह वापस लौटने लगे हैं। वहीं मनरेगा के काम पिछले 15 जून से बंद है, जिससे भी ग्रामीणों को पलायन के लिए विवश होना पड़ा है।
कुओं पर खर्च हुए पौने दो अरब
दमोह जिले में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा हेराफेरी कपिल धारा कूप निर्माण में सामने आई है। जिले में 11 हजार 71 कुआं स्वीकृत हुए थे। जिसमें 185 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन इनके निर्माण में जमकर मनमानी की गई। कागजों पर कूप निर्माण का रिकार्ड दुरुस्त किया गया और हितग्राहियों के हाथ थोड़ी बहुत राशि आई। जिससे अधिकांश कुआं अधबने रहे। इसके बाद बारिश में ढह गए। इस कार्य से भी रोजगार नहीं मिल पाया है।
क्रीड़ागन भी नहीं आए किसी के काम
गांव में ही रोजगार देने के उद्ेश्य से जिले की सातों जनपदों की 910 ग्राम पंचायत में क्रीडांगन खेल मैदानों का निर्माण किया गया था। जिन पर भी करोड़ों रुपए व्यय किए गए। ग्राम पंचायतों में फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट, बास्केटबॉल, साइकलिंग व कबड्डी के हिसाब से खेल मैदानों का विस्तार कागजों पर तो किया गया, लेकिन एक भी ऐसा गांव का खेल मैदान नहीं है, जहां पर सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान हो। कहीं-कहीं सीमेंट कांक्रीट कार्य भी कराए गए हैं, जो बारिश की भेंट चढ़ गए हैं। अधिकांश जगह-जगह समतलीकरण कराए जाने तक की जहमत नहीं उठाई गई और राशि आहरित कर ली गई है।
ताल, तलैयों में अर्थमूवर का उपयोग
नरेगा के तहत गांवों में जलसंरक्षण के तहत ताल तलैयों के कार्य भी कराए गए हैं, लेकिन सभी कार्यों में मजदूरों के बजाए मशीनों का उपयोग किया गया है। अर्थमूवर के साथ ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किए जाने से ताल, तलैया निर्माण कार्य में मजदूरों को महत्व नहीं दिया गया। कहीं देखने व दिखाने के लिए एक या दो दिन का ही काम दिया गया और शेष फर्जी मस्टर भरे गए हैं।

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