सिमटती जा रही शहर से सटी वन भूमि
अधिकारियों को फील्ड पर जाकर वन भूमि का जायजा लेनी की नहीं है फुर्सत
दमोह. शहर से सटी वन भूमि पर अवैध कब्जे होने के कारण यह दिनों दिन सिमटती जा रही है। शहर के आऊटर से लगे आरएफ 105 में सैकड़ों मकान अवैध कब्जा कर लोगों द्वारा बना लिए गए हैं। वहीं आसपास के गांवों में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर लोगों के द्वारा खेती की जा रही है। खासबात यह है कि अवैध कब्जों की शिकायतें वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंच रहीं हैं इसके बाद भी अधिकारियों को फील्ड पर जाकर मौका स्थिति जानने की फुर्सत नहीं है। शनिवार को ग्राम पंचायत बिजौरी, ग्वारी, हिनौती, भूरी के लोगों ने करीब 300 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा होने की लिखित शिकायत आला अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की है। लोगों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से गांव के आसपास कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर खेती का कार्य किया जा रहा है।
वन भूमि पर भू-माफियाओं की सक्रियता बढ़ी
जमुनिया गांव में वन विभाग की कई एकड़ जमीन पर हाल ही में अवैध कब्जा होने की बात सामने आई है। ग्राम पंचायत बिजौरी की सरपंच सीतारानी, रुपेश, रज्जू यादव, नन्नेलाल, मिथलेश, मोहन शंकर, रामभगत यादव, पवन यादव, अमित यादव सुनील सहित अन्य ने बताया है कि दमोह शहर के कुछ दबंगों द्वारा गांव के समीप वन भूमि पर कब्जा कर ट्रैक्टर से जुताई कार्य कर लिया गया है। कब्जाधारियों ने तार फेंसिंग कर दी है जिससे लोगों का आवागमन भी अवरुद्ध हो गया है साथ ही गांव के पालतू मवेशियों को चराने में परेशानी निर्मित होने लगी है। अवैध कब्जाधारियों का कहना है कि उन्होंने इस वन भूमि को खरीद लिया है। ग्रामीणों ने डीएफओ, सीएफ सागर से मामले की जांच कर अवैध कब्जों को हटवाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि कार्रवाई नहीं होती है तो गांव में हुए अवैध कब्जों की वजह से जातिगत संघर्ष की स्थिति निर्मित हो जाएगी।
अवैध कब्जा कर बना लिए गए सैकड़ों मकान
शहर से सटे आरएफ 105में हाल ही के कुछ समय के भीतर लोगों ने अवैध कब्जा कर करीब दो सौ से अधिक मकान बना लिए हैं। इसके अलावा आरएफ १०५ में खेती का कार्य भी किया जा रहा है। विदित हो कि आरएफ 105में परशुराम टेकरी, पॉलीटेक्निक कॉलेज, किशन तलैया, राजनगर जलाशय क्षेत्र समन्ना बाइपास का इलाका शामिल है। राजनगर जलाशय के आसपास वन भूमि में खेती का कार्य किया जा रहा है। वहीं पॉलीटेक्निक कॉलेज के पीछ लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए हैं। यहां कुछ मकान तो वर्षों पुराने हैं, लेकिन इस विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कई मकान नए बनकर तैयार हुए हैं और यह क्रम वर्तमान में भी जारी है।
पैसा लेकर करा रहे कब्जा
हाल ही में वन भूमि पर कब्जा कर की जा रही खेती के मामले में शिकायतकर्ताओं द्वारा अधिकारियों को बताया गया है कि बीट प्रभारियों के द्वारा पैसा लेकर अवैध कब्जे कराए जा रहे हैं। इसी तरह रैयतवाड़ी क्षेत्र के लोगों ने बताया है कि बीट प्रभारी द्वारा दो दो हजार रुपए की राशि लेकर मकान बनाने के लिए लोगों को कब्जा करने की अनुमति दी जा रही है। साथ ही यह बात भी पड़ताल करने पर सामने आई है कि यहां पर वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा भी कब्जा कर मकान बनाए गए हैं। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर यहां के कुछ लोगों ने बताया है कि शहर के कुछ लोग यहां पर कब्जा कर मकान बना लेते हैं और फिर इन्हें लोगों को बेच देते हैं। कई गांव के लोग यहां आकर हाल ही में बसे हैं जिन्होंने मकान ऐसे ही लोगों से खरीदे हैं।
इसी इलाके से निकाली जा रही लाल मुरम
रैयतवाड़ी गांव के आसपास, जमुनिया के आसपास, बिसनाखेड़ी के आसपास पहाड़ों से लाल मुरम निकालकर शहर लाकर बेची जा रही है। यह मुरम गुणवत्ता युक्त होने की वजह से इसकी बिक्री भी अच्छी खासी हो जाती है। खासबात यह है कि लाल मुरम की एक भी खदान जिले में राजस्व विभाग की नहीं है। जहां भी लाल मुरम पहुंच रही है वह वन भूमि पर हो रहे अवैध उत्खनन से निकाली जा रही है।
जिन स्थानों की शिकायत मिली है वहां पर अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की जा रही है। हाल ही के कुछ दिनों के भीतर कई जगहों पर अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की गई है जो आगे भी जारी रहेगी।
जीएस धुव्रे, एसडीओ फॉरेस्ट