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दमोह

सैंकड़ों एकड़ वन भूमि पर खेती करने जड़ से उखाड़ दिए पेड़ पौधे

चौकीदार ही इन ठूंठों का नामोनिशान मिटाकर जमीन समतलकर उसे कृषि भूमि में परिवर्तित कर रहे हैं

दमोहAug 06, 2021 / 11:05 pm

Rajesh Kumar Pandey

Plants uprooted trees to cultivate hundreds of acres of forest land

Plants uprooted trees to cultivate hundreds of acres of forest land

तेंदूखेड़ा. जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई न हो, वन भूमि पर कब्जा न हो, वन्य प्राणियों का शिकार न हो उनकी सुरक्षा के लिए वन चौकीदार नियुक्त किए गए हैं। एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें नियुक्त चौकीदार ही सैंकड़ों एकड़ वन भूमि में खेती किसानी करा रहा है। इसके लिए पेड़ों को काटकर उनके ठूंठों का नामोनिशान भी मिटा दिया गया है।
नौरादेही अभयारण्य अंतर्गत सर्रा वन परिक्षेत्र सारसबगली बीट में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। माफिया पेड़ों की काटकर ठूंठ छोड़ रहा है। वहीं जंगल की सुरक्षा में तैनात चौकीदार ही इन ठूंठों का नामोनिशान मिटाकर जमीन समतलकर उसे कृषि भूमि में परिवर्तित कर रहे हैं। इस बीट में चौकीदार द्वारा ही सैकड़ों एकड़ में खेती करवाई जा रही है। बताया जा रहा है कि खाली रकबा पर खेतीबाड़ी का कार्य किया जा रहा है, जिसमें वह आसपास के लोगों के द्वारा ही खेती करा रहा है, जिसमें चौकीदार की बड़ी हिस्सेदारी बताई जा रही है।
आम के आम गुठलियों के दाम
बताया जा रहा है कि नौरादेही अभयारण्य में सागौन, शीशम सहित अन्य प्रजातियों के पेड़ों की अवैध कटाई चौकीदारों और वन अमले की शह पर ही कराई जा रही है। इसके बाद अवैध वन कटाई का सबूत न बचे इसके लिए ठूंठ भी अलग कराए जा रहे हैं, जुताई कराई जा रही है, पेड़ों की अवैध कटाई के बाद खाली जमीन पर कृषि कार्य कराकर चौकीदारों आम के आम गुठलियों के दाम भी वसूले जा रहे हैं।
वन भूमि में बढ़ रहा कृषि का रकबा
अभयारण्य की वन भूमि में लगातार कृषि रकबा बढ़ता जा रहा है। यह रकबा बढ़ता देख आला अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वन भूमि के नक्शा और रिकार्ड में भले ही वन भूमि में पेड़, पौधे व वन्य प्राणी दिखाई दे रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत यह हो गई है कि नौरादेही अभयारण्य जैसा क्षेत्र ही अंदर ही अंदर पेड़ विहीन होता जा रहा है।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा खतरे में
नौरादेही अभयारण्य में नेचर के हिसाब से वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ रही थी, लेकिन अब इनकी संख्या घटने लगी है। जिससे जाहिर है कि जंगल के अंदर मानव दखल बढऩे लगा है जिससे वन्यप्राणियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है। वन संपदा के साथ वन्य प्राणियों के लिए भी अब नौरादेही असुरक्षित होता जा रहा है।
अफ्रीकन चीता प्रोजेक्ट पर असर
नौरादेही अभयारण्य में अफ्रीकन चीता लाने के लिए टूर विजिट हो चुकी है। कूनो अभयारण्य को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन नौरादेही में अभी भी कुछ कमिया हैं, इसके बाद पेड़ों की कटाई व कृषि रकबा बढऩे के कारण चीता प्रोजेक्ट पर भी विपरीत असर पड़ सकता है, जिस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। जो चिंता का विषय है।
चार जिलों से बढ़ रहा दखल
नौरादेही अभयारण्य चार जिलों की सीमाओं से घिरा हुआ है, जिसमें सागर, दमोह, नरसिंहपुर व जबलपुर जिले की सीमा आती है। चारों छोरों से अवैध कटाई के बाद खाली पड़ी जमीन पर खेती बाड़ी की खबरें आ रही हैं। इस खेतीबाड़ी में चौकीदारों की सहभागिता के साथ वन अधिकारियों की मिली भगत बताई जा रही है।
 

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