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शिवाजी पार्क में एकत्रित होकर निकलता है रामदल,कई अखाड़ों के कलाकार करते हैं अखाड़ा प्रदर्शन

शिवाजी पार्क में एकत्रित होकर निकलता है रामदल,कई अखाड़ों के कलाकार करते हैं अखाड़ा प्रदर्शन

दमोहOct 06, 2019 / 04:33 pm

Samved Jain

Ramdal Akhada damoh: Navratra Ashtmi Special Ram Dal Akhada
दमोह. नवरात्र पर जिले भर में शक्ति की आराधना की जा रही है। मां दुर्गादेवी को शक्ति स्वरूपा मानते हुए लोग अखाड़ों के माध्यम से भी मां की आराधना करते हुए अस्त्र-शस्त्र चलाने का अभ्यास करते हैं। जिले में यह परंपरा बहुत ही पुरानी चली आ रही है। जिसमें शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित देवी प्रतिमाओं की समितियों द्वारा अखाड़ों के कलाकारों को प्रोत्साहित करने अखाड़ों का गठन किया गया था। जिसके बाद से चल समारोह में आज भी इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है।


ऐसे हुई अखाड़ों की शुरूआत –
शहर में अखाड़ों की शुरूआत को लेकर दहित दशानन पत्रिका में पूर्व विधायक आनंद श्रीवास्तव ने उल्लेख किया है कि वर्ष 1928 में प्रथम प्रतिमा पुरानी गल्ला मंडी में स्थापित की गई थीं। इसीलिए आज भी दमोह के दशहरा चल समारोह में पहले स्थापन पर गल्ला मंडी को ही शहर के हृदय स्थल घंटाघर पर स्थान दिया जाता है। जहां की प्रतिमा आने के बाद समिति के सदस्य व प्रशसनिक अधिकारी पूजन करते हैं। मोरगंज में शक्ति स्वरूपा दुर्गा मां की स्थापना करने के बाद अखाड़े का गठन किया गया था। उस समय क्योंकि अखाड़ों के बिना दशहरे की कल्पना अधूरी मानी जाती है। उस समय से शुरू हुई परंपरा के बाद शहर के कई स्थानों पर जहां देवी प्रतिमा स्थापित होती थी। वहां अखाड़ों के माध्यम से लोगों ने शक्ति की आराधना की। शहर के बिलवारी मोहल्ला, पुराना थाना, फुटेरा वार्ड, बजरिया, धरमपुरा, कुरयाना, तीन गुल्ली, पलंदी चौक, लोको, मागंज स्कूल, बड़ापुरा, चैनपुरा, पथरिया फाटक, पुराना बाजार, महाकाली चौक, गौरीशंकर मंदिर, राय चौराहा, ज्वाला माई चौक, दुर्गावती स्कूल शिवाजी पार्क, नगर पालिका, सहित अन्य स्थानों से आकर अखाड़ों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने लगे थे। वर्तमान में यह संख्या काफी कम हो गई। लेकिन आज भी कई प्रतिमाओं के साथ आने वाले अखाड़ों के कलाकार हैरतअंगेज कारनामे दिखाते हैं।


आज निकलेगा रामदल –
रह वर्ष की तरह इस वर्ष भी अष्टमी के दिन अखाड़ों का एकत्रीकरण शिवाजी पार्क में होगा। जहां से शक्ति की आराधना के लिए अखाड़ों के सदस्य श्रीबड़ी देवी मंदिर पहुंचेंगे। जहां पर पूजन उपरांत वह वापस रवाना होगें। बाद में दशहरा को देवी प्रतिमा के साथ घंटाघर पहुंचकर वहां पर चल समारोह में प्रदर्शन करेंगे। जहां पर उन्हें अलग-अलग समितियों द्वारा सम्मानित किया जाएगा। रामदल का गडऱयाऊ में भरत मिलाप होता है। उसके बाद अखाड़ों के कलाकारों का सम्मान होने के बाद बड़ीदेवी की ओर रवाना होते हैं।


इस समय अखाड़ों के कलाकार लाठी, पटा, बनैती, चक्र, झेलम का अभ्यास कर रहे हैं। पूर्व में अन्य अश्त्र-शस्त्र भी शामिल रहा करते थे। लेकिन शासन से रोक लगने के बाद से कई हथियारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके साथ ही पुराना थाना व्यायाम शाला के कलाकार एथलेटिक्स का प्रदर्शन भी करते हैं। जो मानव पिरामिड बनाने के साथ अन्य शक्ति प्रदर्शन भी करते हैं। जिसका अभ्यास जारी है।

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