घटना होते ही चार बार एमपीइबी के हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाया लेकिन फोन नहीं उठा और जब उठा तो फोन पर बात कर रही मैडम ने १५ मिनट तक जानकारियां पूछी। इधर तार टूटने के कुछ ही मिनट के भीतर गल गया। जो तार महिला के ऊपर गिरा था वह गल-गलकर पिघल गया। लोगों ने इसके बाद महिला को उठाया और अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया। घटना का यह वाक्या मंगलवार को मौके पर घटना को देखने वाले प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है। लोगों ने बिजली कंपनी की लापरवाही को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि तार टूटने के करीब ४५ मिनट बाद बिजली कंपनी के कर्मचारी आए थे जब तक अफरा तफरी मची रही थी।
मरी गिलहरी को बना रहे बचाव का हथकंडा
मामले में पत्रिका द्वारा बिजली कंपनी के इंजीनियर सुजीत श्रीवास्तव से किए गए सवाल कि घटना के लिए बिजली कंपनी की क्या जिम्मेदारी बनती है। इसके जबाव में श्रीवास्तव ने कहा कि एक गिलहरी की वजह से स्पार्किंग हुई और लाइन का तार टूटकर गिर गया था। इसमें कंपनी के किसी भी कर्मचारी की जिम्मेदारी नहीं मानी जा सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि गिलहरी दो तारों के संपर्क में आई और स्पार्किंग होकर फॉल्ट हुआ। इंजीनियर श्रीवास्तव द्वारा दिए गए इस तर्क को घटना को देखने वाले बड़ापुरा के दर्जनों लोग झूठ कहने का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कंपनी के अधिकारी अपने बचाव में यह हथकंडा अपना रहे हैं। जबकि पोल पर तीन तार हैं और तारों की दूरी एक दूसरे से डेढ़ फुट से अधिक है इसलिए तारों के किसी भी तरह से आपस में संपर्क आने का सवाल नहीं उठता। जिस गिलहरी की बात की जा रही है वह तार टूटने के बाद करंट की चपेट में आई थी। गिलहरी के कारण स्पार्किंग होती तो रोज ही तार टूटने की घटना घटित होतीं।
मामले में पत्रिका द्वारा बिजली कंपनी के इंजीनियर सुजीत श्रीवास्तव से किए गए सवाल कि घटना के लिए बिजली कंपनी की क्या जिम्मेदारी बनती है। इसके जबाव में श्रीवास्तव ने कहा कि एक गिलहरी की वजह से स्पार्किंग हुई और लाइन का तार टूटकर गिर गया था। इसमें कंपनी के किसी भी कर्मचारी की जिम्मेदारी नहीं मानी जा सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि गिलहरी दो तारों के संपर्क में आई और स्पार्किंग होकर फॉल्ट हुआ। इंजीनियर श्रीवास्तव द्वारा दिए गए इस तर्क को घटना को देखने वाले बड़ापुरा के दर्जनों लोग झूठ कहने का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कंपनी के अधिकारी अपने बचाव में यह हथकंडा अपना रहे हैं। जबकि पोल पर तीन तार हैं और तारों की दूरी एक दूसरे से डेढ़ फुट से अधिक है इसलिए तारों के किसी भी तरह से आपस में संपर्क आने का सवाल नहीं उठता। जिस गिलहरी की बात की जा रही है वह तार टूटने के बाद करंट की चपेट में आई थी। गिलहरी के कारण स्पार्किंग होती तो रोज ही तार टूटने की घटना घटित होतीं।
20 दिन में चार बार टूटा तार
सोमवार को वृद्धा फूलबाई के साथ हुई घटना के 20 दिन के भीतर चार बार तार टूटने की घटनाएं हो चुकीं हैं। स्थानीय लोगों ने जानकारी दी है कि 8 दिन पहले घटना स्थल से 50 कदम आगे बड़ापुरा चौराहे पर तार टूटा था। करीब १५ दिन पहले घटना स्थल से कुछ ही कदम दूर तार टूटा था और एक युवक झुलस गया था। 20 दिन पहले तार टूटकर घटना स्थल के समीप ही पीपल के पेड़ पर गिरा था जिससे पेड़ का भारी भरकम तना जलकर गिरा था। दो दिन पहले भी तार टूट चुका है। इन सभी घटनाओं के बाद बिजली कंपनी के कर्मचारी तार के टूटे टुकड़ों में ज्वाइंट कर चले गए लेकिन तार को बदला नहीं गया। अभी भी एक ज्वाइंट टूटने की स्थिति में नजर आ रहा है।
घटना के बाद सुधार भी नहीं किया ठीक से
सोमवार को वृद्धा फूलबाई के साथ हुई घटना के 20 दिन के भीतर चार बार तार टूटने की घटनाएं हो चुकीं हैं। स्थानीय लोगों ने जानकारी दी है कि 8 दिन पहले घटना स्थल से 50 कदम आगे बड़ापुरा चौराहे पर तार टूटा था। करीब १५ दिन पहले घटना स्थल से कुछ ही कदम दूर तार टूटा था और एक युवक झुलस गया था। 20 दिन पहले तार टूटकर घटना स्थल के समीप ही पीपल के पेड़ पर गिरा था जिससे पेड़ का भारी भरकम तना जलकर गिरा था। दो दिन पहले भी तार टूट चुका है। इन सभी घटनाओं के बाद बिजली कंपनी के कर्मचारी तार के टूटे टुकड़ों में ज्वाइंट कर चले गए लेकिन तार को बदला नहीं गया। अभी भी एक ज्वाइंट टूटने की स्थिति में नजर आ रहा है।
घटना के बाद सुधार भी नहीं किया ठीक से