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दमोह

करोड़ों रुपए वाली रेडकॉस द्वारा संचालित वृद्धाश्रम के वृद्धजनों को इलाज भी नसीब नहीं

वृद्ध की तबियत बिगडऩे पर सामने आया मामला

दमोहOct 09, 2019 / 09:13 pm

lamikant tiwari

The elderly people of the multi-million-dollar RedCoss-operated old a

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दमोह. जीवन के अंतिम पड़ाव में अपनों से ठुकराए जाने के बाद वृद्धाश्रम में रहने वाले वृद्धों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। जिसकी मुख्य वजह इलाज में लगाए जाने वाली राशि का समय पर नहीं मिल पाना बताया गया है। पिछले करीब एक सप्ताह से बीमारी में जकड़े एक वृद्ध का भी यही हाल है। जिला अस्पताल से जबलपुर रेफर किए जाने के बाद भी वृद्ध को जबलपुर नहीं ले जाया गया। जिससे वृद्ध जिंदगी और मौत से संघर्ष करता नजर आ रहा है।
वृद्धाश्रम में रहने वाले वृद्ध कुंदन विश्वकर्मा (८०) निवासी नोहटा वृद्धाश्रम में रहता था। जिसे शुरू से ही मिर्गी आने की बीमारी थी। जिसके बाद उसे करीब एक सप्ताह पूर्व लकवा लगने की शिकायत पाई गई थी। जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिनका इलाज करने वाले मेडीकल स्पेशलिस्ट डॉ. प्रहलाद पटैल ने सीटी स्क्रीन कराने व अन्य इलाज के लिए जबलपुर रेफर कर दिया। दो दिन पूर्व रेफर करने के बाद भी जब किसी ने सुध नहीं ली तो सिविल सर्जन के लिए एक पत्र भी लिखना पड़ा।
लिखा सिविल सर्जन ने पत्र –
सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी ने वृद्धाश्रम के प्रबंधक को पत्र लिखा। जिसमें उल्लेख किया कि कुंदन विश्वकर्मा (८०) को जिला अस्पताल के मेडीकल वार्ड में भर्ती कराया था। जिसकी देखरेख में परेशानी हो रही है। जिसकी देखरेख के लिए वृद्ध के किसी परिजन को मरीज के पास भेजने की व्यवस्था करें। यह पत्र प्राप्त होने के बाद वृद्ध की पहले बहन आई। उसके बाद वह कुछ देर रुककर चली गई। बाद में बुधवार को उसका भाई रहली से दमोह आया। जो भाई को जबलपुर ले जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन वह ब्लड प्रेशर का मरीज होने से उसने वृद्धाश्रम प्रबंधन से अन्य किसी व्यक्तियों या फिर कर्मचारियों को भेजने के लिए कहा।
नोटशीट लेकर जा रहा हूं –
जिला अस्पताल से सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी का पत्र मिलने तथा डॉ. प्रहलाद पटैल द्वारा सीटी स्केन कराने व जबलपुर रेफर करने की सलाह के बाद वृद्धाश्रम के प्रबंधक पीएल प्रजापति ने एक नोटशीट बुधवार को तैयार की। जिसे लेकर वह रेडक्रॉस के सचिव नारायण सिंह के पास पहुंचे। प्रजापति ने बताया कि पिछले करीब ३-४ माह से उन्हें वृद्धाश्रम मेंटेन करने में काफी परेशानी जा रही है। पहले करीब १० हजार रुपए का बजट हमेशा एडवांस में दे दिया जाता था। लेकिन अब काफी परेशानी हो रही है। अगर किसी रिक्शा वाले को ५० रुपए भी देना पड़ता है तो उसे जेब से ही देना पड़ रहे हैं। वृद्धाश्रम के वृद्ध जनों का इलाज के दौरान अगर निजी अस्पताल से भी कोई इलाज के लिए डॉक्टर लिखता है तो उसका इलाज नहीं करा पाते पहले बिल बनाकर देना पड़ता है बाद में फिर राशि स्वीकृत की जा रही है। जबलपुर ले जाने के लिए भी रुपए खर्च होना है। इसकी राशि कहां से लाएं। यही कारण है कि इलाज कराने के लिए वृद्ध को जबलपुर भेजने से पहले उन्हें नोटशीट तैयार करना पड़ी है। जिसे लेकर वह रेडक्रॉस के प्रभारी सचिव के पास जा रहे हैं। उन्होंने अपनी पीढ़ा को लेकर बताया कि २२ साल में इतनी परेशानी कभी नहीं हुई जितनी अब हो रही है।
कलेक्टर के पास भेजी है फाइल –
बुधवार शाम करीब ६ बजे फाइल लेकर वृद्धाश्रम के प्रबंधक आए थे। फाइल में नोटशीट बनाकर कलेक्टर के यहां प्रेषित कर दिया है। अब गुुरुवार को ही वृद्ध को जबलपुर ले जाया जाएगा। वृद्ध की सेवा के लिए एक कर्मचारी को ड्यूटी पर लगा दिया गया है। यदि राशि एडवांस चाहिए है तो प्रबंधक को बताना चाहिए। यदि वह मांग करते तो दिए जा सकते थे।
नारायण सिंह – प्रभारी सचिव रेडक्रॉस सोसायटी
मैं अभी दिखवाता हूं –
मैं अभी दिखवाता हूं। तुरंत ही इंतजाम कराते हुए वृद्ध का हरसंभव इलाज कराया जाएगा। मैं अभी दिखवाता हूं।
तरुण कुमार राठी – कलेक्टर- अध्यक्ष रेडक्रॉस सोसायटी

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