यूसुफ पठान .मडिय़ादो (दमोह). बुंदलखंड के दमोह, छतरपुर और पन्ना जिले में सक्रिय रहे दुर्दांत डकैत मूरत सिंह का हृदय परिवर्तन अचानक हो गया था। उसके जीवन में आए बदलाव का कारण जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे।
स्थानीय सीनियर सिटीजन व ग्रामीण वृद्धजनों के अनुसार डाकू मूरत सिंह के शरीर में सफेद दाग हुआ करता था। एक बार गर्मियों के मौसम में वह बिजावर तहसील स्थित दुर्गम इलाके में प्यास से भटक रहा था। उसी समय उसने एक स्थान पर तीन कुंडों में मौजूद पानी को देखा, जिसमें मूरत सिंह अपनी प्यास बुझाने के लिए कुंड का पानी पीने लगा। लोगों के अनुसार पानी पीने के बाद उसने देखा की उसके हाथ के सफेद दाग अचानक से ठीक हो गए इस चमत्कार के बाद वह घबरा गया और खुशी सेे बदहवास होकर इधर-उधर देखने लगा। इसी दौरान उसकी नजर समीप ही मौजूद भगवान
शिव की एक पिंडी पर पड़ी। मूरत सिंह ने उस पिंंडी को करीब से देखा तो वहां माता पार्वती और भगवान शिव की अति प्राचीन प्रतिमा थी। मूरत सिंह को विश्वास हो गया था कि इन प्रतिमाओं और पिंडी में दिव्य अलौकिक
शक्ति है और जिस पानी को पीकर उसके सफेद दाग ठीक हुए हैं, वह इन्हीं देवताओं का प्रसाद है। कहते है कि इस घटना के बाद डाकू मूरत सिंह का हृदय परिवर्तन हुआ। आज इस स्थान को बड़े जटाशंकर के नाम से जाना जाता है।
बुंदेलखंड में था आतंकलगभग 100 साल पहले मूरत सिंह नाम से बुंदेलखंड के छतरपुर, पन्ना और दमोह जिले के इलाके के लोग थर-थर कांपते थे। मूरत सिंह किसी का भी अपहरण कर लेता था और अच्छी खासी फिरौती भी वसूलता था। क्षेत्र के सेठ-साहूकारों में मूरत सिंह के नाम खौफ था। दमोह जिला के छतरपुर वार्डर से लगे मडिय़ादो, रजपुरा थाना क्षेत्र में कई अपहरण और लूट को अंजाम डकैत मूरत सिंह के द्वारा दिया गया। मूरत सिंह के द्वारा दमोह शहर से भी दिन दहाड़े एक युवक के अपहरण को अंजाम देने की भी जानकारी वृद्धजन देते हैं।
मुखबिरों को देता था कड़ी सजाजानकारों के मुताबिक मूरत सिंह की मुखबिरी कर पुलिस को जानकारी देने वालों को कड़ी सजा देता था। जिसमें वह मुखबिरी करने वाले के नाक, कान काट देता था। उस दौर में क्षेत्र में कई लोग ऐसेे थे, जिनके नाक, कान डकैत मूरत सिंह ने काटे थे। मडिय़ादो के चौरईया में सन 1966 में एक मुखबिर हजरत बेना और डीएसपी केएम चतुर्वेदी, थानेदार बाबू सिंह को गोली मार दी थी, जिसमें तीनों की मौके पर मौत हो गई थी।
फिरौती की रकम से बनवाया मंदिर आज जिस स्थान पर प्रसिद्ध धार्र्मिक स्थल जटाशंकर धाम बसा हुआ है, उस समय यह काफी घना जंगल व बहुत ऊंची पहाडिय़ां थी। इसलिए वहां पर पहुंच पाना आम लोगों के बस की बात नहीं थी। मूरत सिंह इस जगह भव्य मंदिर निर्माण कराने की सोची। चूंकि, मूरत सिंह एक डकैत था और उसने लोगों का अपहरण कर व अपहरण की धमकी और धांैस दिखा कर रकम एकत्रित की और उसी राशि का उपयोग मंदिर निर्माण में किया। स्थानीय लोगों की मानें तो तो डाकू के भय से वहां इलाके के सेठ साहूकारों ने धर्मशालाएं, सीढिय़ां और मंदिर का निर्माण कराया। लोग कहते हंै कि उस वक्त डाकुओं का बहुत खौफ हुआ करता था, लेकिन इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को कभी लूटा नहीं गया। चाहे वह अपने साथ कितनी रकम लेकर आते रहे हो।
Home / Damoh / Changes of Life:: डकैत का कुष्ठ रोग मिटने पर यहां डाले थे हथियार