पहले प्रार्थना फिर मुस्कुराते गाते किया श्रमदान
कलेक्टर, नपा अध्यक्ष, निरंकारी, जैन मिलन बने भागीरथ
The labor with enthusiasm
दमोह. सूर्य उदय के साथ सुबह 6 बजे फुटेरा तालाब के घाटों पर खाकी वर्दी में पुरुष, नीली कुर्ती में महिलाएं व नीली टी शर्ट के साथ कैप लगाए युवाओं की टोली पहुंची। यह टोली सेवा कार्यों में अग्रणी संत निरंकारी चेरिटेबिल फाउंडेशन संत निरंकारी मंडल ब्रांच दमोह की थी।
घाट पर पहुंचने पर निरंकारी मंडल के संचालक राजकुमार सोनी ने कॉसन दिया, पुरुष महिलाएं, बच्चे कतार में लग गए, सावधान, विश्राम के हल्के व्यायाम के बाद ऊर्जा देने वाली ईश्वरीय प्रार्थना से वातावरण धर्ममय हो गया। इसके बाद मुस्कारते हुए प्रेरक गीत गाते हुए फुटेरा तालाब के घाटों का सफाई अभियान शुरू हुआ। इस कार्य में साथ आए बच्चे उत्साह से भागीरथ बने, किसी ने दौड़-दौड़कर तसला एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंच तो कोई बच्चा तसला उठाकर टिपर वाहन, ट्रैक्टर ट्रॉली में पहुंचाने के लिए दौड़ पड़ा। इस बार के अमृतं-जलम में सेवा भावना का जुनून नजर आया। करीब दो घंटे तक न कोई कतार से अलग हुआ न किसी को प्यास लगी। जिससे अब तक के श्रमदान कार्यों में निरंकारी सत्संग सेवा समिति ने सभी का दिल जीत लिया।
उत्साह के साथ चल रहे कार्य में कलेक्टर तरुण राठी भी जुड़े, जिन्होंने पहले उत्साह के साथ चल रहे श्रमदान कार्य का जायजा लिया, महिलाओं व बच्चों को उत्साह व लगन पूर्व कार्य करते हुए देखकर उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की। श्रमदान कार्य में क्या अधिकारी क्या पब्लिक कोई भेदभाव नहीं केवल सभी का ध्येय था कि घाट पर रखी जलकुंभी को हटाया जाए। जैन मिलन शाखा से जुड़े शहर के प्रसिद्ध व्यापारियों ने भी अपनी भूमिका निर्वहन किया। वहीं पसीने बहाने वाले श्रमदान कार्य के समापन पर समाजसेवी कैलाश शैलार द्वारा पोहा, जलेबी, समोसा का नाश्ता कराया गया। नगर पालिका परिषद द्वारा शीतल जल के जार के साथ घाटों पर छोड़े गए ढेरों को अपनी सफाई कर्मियों की टीम व अर्थमूवर से साफ कराया गया। लोगों व नपा की भागीदारी से फुटेरा तालाब के घाट एक दिन के श्रमदान कार्य में साफ हो गए।
जलकुंभी जलाशय को करती है नष्ट
कलेक्टर तरुण राठी ने कहा कि जलकुंभी किसी जलाशय को नष्ट करने का कारक बनती है। शहर के तालाबों से जलकुंभी नष्ट कराने के लिए फाउंटेन या अन्य उपाय कराए जाएंगे, यह जलकुंभी पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण बढ़ती है, तालाबों में इसकी समस्या का उपाय खोजा जाएगा। पत्रिका अमृतं-जलम के तहत समाज के लोगों की भागीदारी से उत्साह के साथ श्रमदान किया गया है।
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