बच्चों के फ्रायम्स कुरकुरे के नाम पर कई अमानक ब्रांडों से भरा बाजार
बच्चों को 10 से 20 रुपए पॉकिट मनी देकर अभिभावक नहीं देते हैं
The market is full of many non-standard brands
दमोह. बच्चों के लिए विभिन्न नामों की खाद्य सामग्री और पैकेट शहर से लेकर गांवों तक में पहुंच रही है। बच्चों की पैकिट खाद्य सामग्री का एक बड़ा बाजार फैल चुका है। जहां हर तरफ रंग-बिरंगे पैकेट नजर आ जाते हैं, लेकिन इनमें अमानक खाद्य सामग्री भी हो सकती है जो बच्चों के लिए नुकसान दायक होती है, इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
3 साल से 12 साल के बच्चों को प्रतिदिन अभिभावक 10 से 20 रुपए कुछ बाहर से खाने के लिए देते हैं। बच्चे आसपास की दुकानों से कुछ पैकेट लेकर आ जाते हैं, लेकिन अभिभावकों द्वारा कभी भी इस पर गौर नहीं किया जाता है कि आखिर जो बच्चा सामग्री बाहर से लाकर खा रहा है। अभिभावकों की लापरवाही का फायदा उठाते हुए कई नामों से फ्राइम्स व कुरकुरे बाजार में बोरियों में आते जाते व दुकानों के बाहर दिखाई दे रहे हैं।
अब गांवों में भी होने लगी पैकिंग
कारोबार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बच्चों की पॉकिट मनी को देखते हुए अब गांवों में विभिन्न नामों से इन ब्रांडों की पैकिंग होने लगी है। जिसमें लाइसेंस व अन्य अर्हताएं तो पूरी कर ली जाती है, लेकिन पैकिंग पर दर्शाने वाले कई बिंदुओं को नजरअंदाज किया जाता है, जिससे प्रोडक्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
भिड़ारी गांव में नष्ट कराई थी सामग्री
भिड़ारी गांव बच्चों के लिए फ्राइम्स कुरकुरे विभिन्न नामों से पैकिंग कर बेचे जा रहे थे। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के दल ने संयुक्त रूप से जब छापामार कार्रवाई की तो उस पर बैच नंबर नहीं था। जिससे करीब 26 हजार की मौके पर मौजूद सामग्री नष्ट कराई गई और उसके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे।
खाद्य वस्तु के अंदर प्लास्टिक खिलौने
बच्चों को आकर्षित करने के लिए खाद्य वस्तुओं के अंदर ही प्लास्टिक के खिलौने भी डाले जा रहे हैं। इन खिलौनों की प्लास्टिक हानिकारक होने के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। भारत सरकार ने बच्चों की खाद्य सामग्री में इस तरह के खिलौने डाले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन बगैर वैध प्रमाणीकरण के कारोबार कर रहे इन व्यवसायियों द्वारा दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। बच्चों की खाद्य सामग्री के साथ खिलौने देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसके लिए खाद्य वस्तु से अलग पैकिंग की व्यवस्था करने के निर्देश देते हैं, लेकिन अलग पैकिंग में लगने वाली मशीनों व अन्य खर्चों को बचाने के लिए खाद्य वस्तुओं में ही खिलौने डाले जा रहे हैं।
निर्माण व एक्सपायर डेट नदारद
दुकानों पर बिक रहे अनेक पैकेटों पर निर्माण व एक्सपायर डेट भी नदारद रहती है। कुछ खाद्य सामग्री पर वेस्ट बिफोर मंथ 12 माह लिख दिया जाता है, लेकिन उस पर यह नहीं लिखा जाता है कि यह सामग्री कब बनकर पैक हुई और कब यह इस्तेमाल से बाहर हो जाएगी। इस नियम का प्रयोग भी नहीं किया जा रहा है।
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