जिला परियोजना अधिकारी राजेंद्र पटेल ने शिक्षकों को बताया कि जिले के अधिकांश स्कूलों में परंपरागत रीति से शिक्षण कार्य किया जा रहा है। इस पद्धति के तहत कुछ मौकों पर शासन की मंशा नजरअंदाज हो जाती है। राजेंद्र पटेल ने मौजूद शिक्षकों को बताया कि शासन की मंशा के अनुसार बच्चों के शिक्षा स्तर को परिपक्क बनाया जाना है, जिसके लिए राज्य शिक्षा केंंद्र द्वारा दिए जा रहे मापकों के आधार पर स्कूली बच्चों के सुधार में कार्य करना होगा।
राज्य शिक्षा केंद्र के उप संचालक केपी तोमर को दमोह जिले का नोडल अधिकारी राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बनाया गया है। केपी तोमर ने इस मौके पर शिक्षकों को दक्षता उन्नयन संबंधी प्रशिक्षण एक अनौखे और सरल रुप में दिया। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि घोड़ा को जबरदस्ती करके घास तक लाया जा सकता है, उसका मुंह घास की ओर जबरन किया जा सकता है, लेकिन घोड़ा की घास खाने की इच्छा पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस कहानी को स्कूली बच्चों से जोड़ा और कहा कि बच्चे की इच्छा को बदलना होगा तभी सुधार की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने शिक्षकों को समझाइश दी कि यदि बच्चे से जबरदस्ती की जाएगी तो वह स्कूल आना ही छोड़ देगा जो उसके भविष्य के लिए घातक होगा।
इस तरह होना है सुधार
प्रशिक्षण में बताया गया कि स्कूली बच्चों में शामिल कमजोर बच्चों के स्तर में सुधार तीन चरणों में किया जाना है। यदि कोई बच्चा जो कक्षा पांचवी में पढ़ रहा है और उसकी दक्षता पहली या दूसरी के लायक है तो उस बच्चे को अंकुर प्रक्रिया के तहत सुधार करना होगा। वहीं प्रशिक्षण में बताया गया कि बच्चों में सुधार लाने के लिए स्नेह का वातावरण शिक्षकों में होना चाहिए इस जिम्मेदारी को बच्चों पर थोपा ना जाए।