सिविल इंजीनियर अजय नामदेव ने अन्य मित्रों से चर्चा की। जिन्होंने बताया कि वह चाहते हैं कि भीख देने से लोग उस राशि का दुरुपयोग करते हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाए। जिनकी बात से सममत होकर सबसे पहले उनकी पत्नी उमानामदेव सहित बेटी आस्था, अपराजिता, बेटा आशुतोष तैयार हो गया। जिन्होंने फिर एक बैठक बुलाकर अन्य मित्रों के समक्ष अपने विचार रखे। जिनसे सहमत होकर एड. विपिन टंडन, डॉ. प्रेमलता नीलम, मनोज टंडन, प्रमोद, शुभम, अरुण टंडन, अनीता टंडन, नरेंद्र सेन, सबाब अली, महेंद्र राय, प्रमोद असाटी, सहित अन्य लोग भी उनसे सहमत हो गए। जिन्होंने लोगों से अपील की। जिसके बाद उन्हें लोग दान के रूप में सहयोग देने लगे। इसके बाद हर दिन दरिद्र नारायणों को भोजन उपलब्ध कराया जाने लगा। मामला यहां तक पहुंचा कि एक होटल फिक्स कर वहां पर असहाय, अपाहिज व बाहर से भीख मांगने आने वाले दरिद्र नारायणों को कूपन देकर उन्हें होटल भेजने लगे। जिससे उन्हें भोजन उपलब्ध होने लगा। पहले इसकी संख्या १० से २० रही। लेकिन बाद में हर दिन करीब ५० से अधिक होने लगी। इसमें दानराशि देने वाले दानदाताओं की बाकायदा एक सूची तैयार कर उसका प्रकाशन कराया गया। जिसे सार्वजनिक किया जाने लगा। जिससे हिसाब भी आइने की तरह साफ रहा।
सिविल इंजीनियर अजय नामदेव ने बताया कि हर वर्ष दरिद्र नारायण भोजन कराने के लिए पितृपक्ष में सबसे अधिक सहयोग मिलता है। जिससे वह १५ दिनों तक लगातार अलग-अलग व्यंजन बनाकर दरिद्र नारायणों को भोजन कराते हैं। इसके लिए वह निरंतर हर दिन अलग-अलग व्यंजन बनवाते हैं। सुबह करीब ९ बजे से शुरू हुए आयोजन देर शाम तक लगातार चलता रहता है। जिसमें रसोइया कड़ाई चढ़ाए रहते हैं। जो शाम तक नहीं उतरती। दरिद्र नारायणों को हर दिन बदल बदलकर भोजन बनाया जाता है। जिसमें सब्जी, पूरी, सलाद, कड़ी पकौड़ा, के अलावा मीठा में रसगुल्ले, इमरती, जलेबी, कपूरकंद सहित अन्य मिष्ठान बताने हैं। अजय नामदेव बताते हैं कि पहले बाहर से बहुत से लोग भीख मांगने आते थे। लेकिन अब उनकी संख्या काफी कम हुई है। क्योंकि बाहर भी कई जगह दमोह की तरह भोजन उपलब्ध कराए जाने लगे हैं।
गुरुवार को दरिद्र नारायणों को भोजन कराने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखी गई। जिसमें लायनेस मैत्री क्लब से लेकर अन्य संस्थानों से जुड़े व व्यक्तिगत लोगों ने सहयोग देकर दरिद्र नारायणों को भोजन कराने में सहयोग किया।