सबसे ज्यादा ग्रंथ भारत के ऋषियों ने लिखे
सबसे ज्यादा ग्रंथ भारत के ऋषियों ने लिखे
सबसे ज्यादा ग्रंथ भारत के ऋषियों ने लिखे
दमोह. दिगंबर जैन नन्हे मंदिर में गुरुवार सुबह जैन धर्मशाला में मुनि विमल सागर ने इष्टोपदेश ग्रंथ की वाचना करते हुए धर्मसभा को संबोधित किया।
मुनि विमल सागर ने कहा कि यदि हम विनय के साथ विद्या का सम्मान नहीं करते हैं, तो विद्या प्राप्त नहीं होती है। इसलिए विनय को मोक्ष का द्वार कहा है। आप अपने अंदर का मैल अलग करिए तभी कुछ प्राप्त होगा। मुनि ने कहा कि उसे पिंजरे में देख मुझे मेरा कैदखाना याद आ गया है। इसका अर्थ है कि में अनादिकाल से इस देह रूपी पिंजरे में कैद हूं। अब व्याकुलित हूं। मुक्त होने को। मुनि ने कहा कि आप जो भी कार्य करते हैं। बाधाएं आती है, तो अंतराय कर्म के कारण आती है। प्रभु और गुरु को नमस्कार बैठ कर करना चाहिए। सम्मान कराने से ज्यादा सम्मान करना श्रेष्ठ है। दोपहर में मुनि भावसागर ने कहा कि आज चिकित्सा में सबसे ज्यादा गड़बडिय़ा हो रही हैं। ध्यान के माध्यम से भी मन की चिकित्सा होती है। आज भी भारतीय चिकित्सा पद्धति विश्व में सर्व श्रेष्ठ है। आचार्य श्रीकी भावना है कि पूरे विश्व के लोग स्वस्थ रहते हुए पूर्णायु को प्राप्त करे। भारत में आज भी घरेलू नुस्खे बहुत कारगर सिद्ध हो रहे हैं। दुनिया में सर्व प्रथम इंजेक्शन का अविष्कारक भारत ही है, ऑपरेशन ब्लेड भी सर्व प्रथम भारत में ही बनाया गया था। सबसे ज्यादा ग्रन्थ भारत के ऋषियों ने लिखे और पूरे विश्व के लोग चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग कर रहे है।
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