जमींदोज हो चुके पहले बनाए गए ज्यादातर स्ट्रक्चर
बोधघाट परियोजना के लिए शुरूआती दौर में करीब 100 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके थे। जिसमें परियोजना स्थल पर पुल निर्माण से लेकर पानी डायवर्ट करने का अस्थाई स्ट्रक्चर अंडरग्राउंड रेस टनल, साइट आफिस, रेस्ट हाऊस, विद्युत सब स्टेशन, डबल लेन सडक़, आवासीय कॉलोनी से लेकर अन्य अधोसंरचना का निर्माण हो चुका था। इनमें से बारसूर से सातधार के बीच बना आवासीय कालोनी परियोजना के डिब्बा बंद होने से जमींदोज हो गई। कुल 500 मेगावाट की पन बिजली परियोजना को इंदिरा सरोवर परियोजना नाम दिया गया था। इसके लिए विश्व बैंक ने 300 मिलियन डालर का कर्ज मंजूर किया था। परियोजना के बीच में बंद होने से इसकी वर्तमान लागत बढक़र 20 हजार करोड़ रूपए हो गई है।
मीडिया की मौजूदगी से भडक़े चीफ इंजीनियर
सर्वे के पहले दिन मौके का मुआयना करने पहुंचे चीफ इंजीनियर राजेश कुमार नागरिया सातधार पुल के निरीक्षण के दौरान मीडिया की मौजूदगी से खासे नाराज हो गए। उन्होंने अपनी झुुंझलाहट जल संसाधन विभाग के अपने अधीनस्थ अफसरों पर उतारी। उन्होंने कहा कि इस गोपनीय प्रवास की जानकारी मीडिया को कैसे लीक कर दी गई। वे चुपचाप काम करना चाहते थे। लेकिन अब मीडिया वाले यहां मौजूद हैं। जरूर यह विभाग के स्थानीय अफसरों का काम है। नाराजगी जताते हुए चीफ इंजीनियर ने गाडिय़ां वापस मोडऩे को कहा और लौटकर दूसरी तरफ चले गए।