माता-पिता के साथ शहर के लोग भी बेहद खुश है
सोनी टीवी पर कलाकर के रूप में सारांश को देखकर माता-पिता के साथ शहर के लोग भी बेहद खुश है। फोन व बधाई आ रही है। पातररास में रहने वाले शिक्षक संजय बताते हैं, सारांश अभिनय के लिए स्कूल के दिनों से ही जिद करता आ रहा था। पैसा न होना व बेटे को माया नगरी से लगाव डरा भी रहा था।
सोनी टीवी पर कलाकर के रूप में सारांश को देखकर माता-पिता के साथ शहर के लोग भी बेहद खुश है। फोन व बधाई आ रही है। पातररास में रहने वाले शिक्षक संजय बताते हैं, सारांश अभिनय के लिए स्कूल के दिनों से ही जिद करता आ रहा था। पैसा न होना व बेटे को माया नगरी से लगाव डरा भी रहा था।
प्रतियोगिता में हिस्सा लिया व मिस्टर छत्तीसगढ़ चुना गया
2011 में रायपुर की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया व मिस्टर छत्तीसगढ़ चुना गया। यह भी उसने बिना बताए ही किया था। बीई करने के बाद बेंगलूरू में एक कंपनी में जॉब कर रहा था। कुछ दिनों बाद पता चला कि वह नौकरी छोड़ चुका है। इस पर डांट लगाई, तो उसने दो साल का वक्त मांगा। उसने कहा मुबई में जून 2017 से 2019 तक रहने दो। किसी तरह खाना व रहने का खर्च दो। यदि सफल हुए तो ठीक, नहीं तो जो कहेगें वहीं होगा। सोनी टीवी का सीरियल मेरे सांई में रोल देखकर बेहद खुशी मिल रही है।
2011 में रायपुर की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया व मिस्टर छत्तीसगढ़ चुना गया। यह भी उसने बिना बताए ही किया था। बीई करने के बाद बेंगलूरू में एक कंपनी में जॉब कर रहा था। कुछ दिनों बाद पता चला कि वह नौकरी छोड़ चुका है। इस पर डांट लगाई, तो उसने दो साल का वक्त मांगा। उसने कहा मुबई में जून 2017 से 2019 तक रहने दो। किसी तरह खाना व रहने का खर्च दो। यदि सफल हुए तो ठीक, नहीं तो जो कहेगें वहीं होगा। सोनी टीवी का सीरियल मेरे सांई में रोल देखकर बेहद खुशी मिल रही है।
मायानगरी में पैर जमाना आसान नहीं…
सारांश ने फोन हुई चर्चा में बताया, मायानगरी में पैर जमा पाना बड़ा कठिन है। माता-पिता नहीं चाहते थे, लेकिन बुआ के लड़का गौरव सिंह ने लगातार उत्साहित किया। 2011 में मिस्टर छग बनने के बाद एक्टिंग करने का जुनून सवार हो गया। इसके बाद 2013 में मिस्टर ओजस चुना गया। इसमें सभी टेंलेंट को देखा जाता है। अपनी एक्टिंग की रुचि को माता-पिता के सामने रखी। दो साल का वक्त मांगा। इसके लिए उन्होंने हां कर दी।
सारांश ने फोन हुई चर्चा में बताया, मायानगरी में पैर जमा पाना बड़ा कठिन है। माता-पिता नहीं चाहते थे, लेकिन बुआ के लड़का गौरव सिंह ने लगातार उत्साहित किया। 2011 में मिस्टर छग बनने के बाद एक्टिंग करने का जुनून सवार हो गया। इसके बाद 2013 में मिस्टर ओजस चुना गया। इसमें सभी टेंलेंट को देखा जाता है। अपनी एक्टिंग की रुचि को माता-पिता के सामने रखी। दो साल का वक्त मांगा। इसके लिए उन्होंने हां कर दी।
दवाई व औषधियों का भी विरोध करता है
दशमी क्रिएशन तक पहुंचाने में कास्टिंग डारेक्टर मानव ध्यान का बड़ा हाथ रहा। चम्पू टाइप का रोल करना था। मेरे सांई में एक ऐसा लड़का जिसे चिकन पॉक्स है। सांई बाबा इलाज करते हैं। उनकी दवाई व औषधियों का भी विरोध करता है। भगवान पर भरोसा करता हूं। छोटी सी जगह से निकल कर यहां तक आया और भगवान के साथ ही रोल करने का मिला। आगे थिएटर करूंगा, माता-पिता का आशीर्वाद रहेगा तो जरूर आगे बढ़ूंगा।
दशमी क्रिएशन तक पहुंचाने में कास्टिंग डारेक्टर मानव ध्यान का बड़ा हाथ रहा। चम्पू टाइप का रोल करना था। मेरे सांई में एक ऐसा लड़का जिसे चिकन पॉक्स है। सांई बाबा इलाज करते हैं। उनकी दवाई व औषधियों का भी विरोध करता है। भगवान पर भरोसा करता हूं। छोटी सी जगह से निकल कर यहां तक आया और भगवान के साथ ही रोल करने का मिला। आगे थिएटर करूंगा, माता-पिता का आशीर्वाद रहेगा तो जरूर आगे बढ़ूंगा।