scriptNMDC mines के पीछे के आदिवासी लॉकडाउन में फंसे बुरी तरह से, दैनिक सामान सहित नमक को तरस रहे ग्रामीण | Tribals behind NMDC mines trap in lockdown, villagers craving for salt | Patrika News
दंतेवाड़ा

NMDC mines के पीछे के आदिवासी लॉकडाउन में फंसे बुरी तरह से, दैनिक सामान सहित नमक को तरस रहे ग्रामीण

दूरसंचार के अभाव में ये आदिवासी प्रत्येक रविवार और बुधवार को आकाशनगर पहुंचकर बस के शुरू होने की जानकारी पूछते और निराश होकर वापस लौट जाते है।

दंतेवाड़ाJun 03, 2020 / 05:06 pm

Badal Dewangan

NMDC mines के पीछे के आदिवासी लॉकडाउन में फंसे बुरी तरह से, दैनिक सामान सहित नमक को तरस रहे ग्रामीण

NMDC mines के पीछे के आदिवासी लॉकडाउन में फंसे बुरी तरह से, दैनिक सामान सहित नमक को तरस रहे ग्रामीण

बचेली. एनएमडीसी माइंस के पीछे के आदिवासी लॉक डाउन में बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इन्हें रोजमर्रा की उपयोगी चीजें तेल, साबुन, नमक, माचिस, मिर्ची आदि नही मिल पा रहा। वहीं सीजन की वनोपज इमली को भी नहीं बेच पा रहे। जहां सरकार ने सभी लोगों को जरूरत के सामन लेने और अन्य क्रियाकलाप के लिए निर्धारित समय की छूट दी है। वहीं पहाड़ी पार के आदिवासी अब भी जरूरत के सामान तक ले पाने में लाचार है।

दूरसंचार के अभाव में ये आदिवासी प्रत्येक रविवार और बुधवार को आकाशनगर पहुंचकर बस के शुरू होने की जानकारी पूछते और निराश होकर वापस लौट जाते है। दरअसल पहाड़ी पार के हुर्रेपाल, बेचापाल, दुगेली, पालनार, करकागांव, लोहागांव जैसे दर्जनों गांव के आदिवासी अपनी दैनिक उपयोग की चीजो के लिए बचेली नगर पर निर्भर हैं। ये आदिवासी खड़ी चढ़ाई पैदल चढक़र आकाशनगर पहुंचते हैं। जहां से एनएमडीसी परियोजना द्वारा संचालित मार्किट बस के माध्यम से बचेली आकर अपने वनोपज की बिक्री और जरूरी सामान खरीदते हैं। पर एनएमडीसी के बस के संचालित नही होने से खासे परेशान हैं। यही नहीं आकाशनगर और काठमांडू के लोगों को भी यही दिक्कत झेलनी पड़ रही है।

एनएमडीसी जल्दी बस शुरू करने से मिलेगी राहत
पहाड़ी पार दुगेली गांव से बस की मांग करने आकाशनगर आए बुदराम ने बताया कि कई हफ़्तों से हम आ रहे हैं पर कोई जानकारी नही मिल रही। बस की मांग करने नीच बचेली जाने का भी साधन नहीं है। दर्जनों गांव के लोग नमक जैसे जरूरी सामान के लिए मोहताज हैं। एनएमडीसी जल्दी बस शुरू करने से हमे राहत मिलेगी।

आदिवासियों के पास कोई अधिकृत पहचानपत्र तक नही
बैलाडीला पहाड़ी की तराई के ये गांव बीजापुर और दंतेवाड़ा का सरहदी इलाका है जहां प्रशासनिक पहुंच ना के बराबर है। धुर नक्सल प्रभावित इलाका होने से यहां ऑपरेशन के वक्त केवल सुरक्षाबलों की टीम पहुंचती है और मुठभेड़ की खबर आती है। यहां स्थित दर्जनों गांव के आदिवासियों की जिंदा रहने की मुश्किलो को इस बात से भी समझ जा सकता है कि आज देश में हर काम डिजिटल, ऑनलाइन और मोबाइल चलित होते जा रहे हैं। ऐसे में आज भी इन आदिवासियों के पास कोई अधिकृत पहचानपत्र तक नही है।

Home / Dantewada / NMDC mines के पीछे के आदिवासी लॉकडाउन में फंसे बुरी तरह से, दैनिक सामान सहित नमक को तरस रहे ग्रामीण

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो