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फसलों में नुकसान होने के बाद भी किसान रहेंगे क्लेम से वंचित

83 हजार किसानों का नहीं हो सका फसल बीमाबीमा कंपनी का तो दफ्तर ही नहीं खुल सका जिले में

दतियाOct 02, 2019 / 04:46 pm

महेंद्र राजोरे

फसलों में नुकसान होने के बाद भी किसान रहेंगे क्लेम से वंचित

खेत में खड़ी फसल काली पड़ी हुई।

दतिया. ज्यादा बारिश से इस बार किसानों की खरीफ फसलों को नुकसान तो हुआ है पर 83 हजार किसानों को इस बार फसल बीमा के तहत राहत नहीं मिल सकेगी। जिले के सवा लाख किसानों में से केवल 32 हजार किसानों का ही बीमा हो सका है। कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारियों ने किसानों को बीमा के बारे में नहीं बताया। न ही प्रचार-प्रसार किया गया। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा। जिले में एक लाख से ज्यादा हेक्टेयर में खड़ी उड़द, तिल सहित अन्य फसलों में भारी नुकसान हुआ है।
कृषि विभाग ने इस बार जिले के किसानों का बीमा कराने के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को अधिकृत किया है, जबकि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वे गांव-गांव जाकर किसानों को बीमा कंपनी व बीमा के लाभ के बारे में बताएं, ताकि वे फसलों का बीमा कराएं और प्राकृतिक आपदा होने पर उन्हें क्लेम मिल सके, लेकिन कृषि विस्तार अधिकारियों की लापरवाही से किसानों को पता नहीं चल सका कि कब से बीमे का काम शुरू हुआ और कब खत्म हो गया। नतीजा यह है कि हजारों हेक्टेयर जमीन में खड़ी उड़द, तिल, मूंग, मक्का सहित खरीफ की अन्य फसलें ज्यादा बारिश से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। बीमा न हो पाने से किसानों की वह भी उम्मीद खत्म हो गई जो उनकी बीमा कंपनी से थी। यानी फसलों में नुकसान होने के बाद भी उन्हें क्लेम से वंचित रहना पड़ेगा।
कंपनी का अता-पता नहीं
कृषि विभाग ने एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कपनी को बीमा के लिए अधिकृत किया है। 20 से 31 जुलाई तक तिथि खोली गई थी, लेकिन किसानों को पता नहीं होने के कारण बीमा का लाभ नहीं मिल सका। हैरानी की बात तो यह है कि बीमा कंपनी ने जिले में कभी दफ्तर ही नहीं खोला। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस दर्जे की लापरवाही इस काम में हुई है, जबकि जिले में 83 हजार हेक्टेयर में उड़द, 23 हजार हेक्टेयर में तिल सहित अन्य फसलों में अतिवर्षा से भारी नुकसान हुआ है। बीमा पास के बैंक शाखाओं द्वारा किया जाता है। केसीसी वाले किसानों का ही फसल बीमा हो सका है।
बोवनी के वक्त ही किसानों को दी जाती है जानकारी
खरीफ फसलों की बोवनी जुलाई में ही शुरू हो गई थी। इसी वक्त कृषि विभाग ने तय कर दिया था कि जिले में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी किसानों की फसलों का बीमा करेगी। अधिकारियों का दावा है कि इसके लिए विज्ञप्ति जारी की थी। बीमा कराने के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई घोषित की थी पर जिले के सवा लाख में से केवल एक तिहाई किसानों की फसलों का बीमा हो सका है। बाकी किसानों को इससे वंचित रहना पड़ेगा, जबकि बीमा संबंधी जानकारी कृषि विस्तार अधिक ारियों को उसी वक्त देनी होती है।
नहीं पता कितना प्रीमियम
ज्यादातर किसान अनपढ़ होने के कारण उन्हें यह भी नहीं पता कि किस फसल के लिए कितना प्रीमियम जमा करना होता है। इसकी प्रक्रिया है कि फसल में जो लागत लगती है। उसके आधार पर सहकारिता व कृषि विज्ञान केन्द्र से जुड़े वैज्ञानिक मिलकर तय करते हैं, लेकिन कृषि विस्तार अधिकारियों ने इस बारे में भी नहीं बताया।
नहीं पता कब हुआ बीमा
मैंने फसल के लिए बीमा कराने का प्रयास किया पर पता ही नहीं चला कि कब फसलों के बीमा के लिए तिथि घोषित की और कब खत्म हो गई।
अरुण कुमार, किसान, उदगवां
मुझे गांव में किसी ने नहीं बताया कि फसलों का बीमा कब से कब तक हुआ। फसलें अब पानी से खराब हो चुकी हैं कैसे हर्जाना मिलेगा पता नहीं।
राजेन्द्र पाल, किसान, जिगना
किसान क्रेडिट कार्ड वाले किसानों का बीमा तो हो गया पर बाकी कम ही किसानों का बीमा हो सका है। इस बार 32 हजार किसानों का बीमा हो सका है।
आरएन शर्मा, उप संचालक, कृषि

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