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दतिया

सिसकती सांसें, भीगी आंखें, चीत्कार लगाती हर जुबां- हे ईश्वर ये क्या कर दिया…

कंधों पर महिलाओं के तो हाथों में मासूमों के शव देख हर आंख रोई
छह महिलाओं के शवों को नदी किनारे दी मुखाग्नि, बच्चों को गहरे गड्ढों के किया हवाले
किसी भी घर में नहीं जला चूल्हा, रातभर नहीं सो सके ग्रामीण

दतियाOct 16, 2021 / 10:51 pm

हुसैन अली

सिसकती सांसें, भीगी आंखें, चीत्कार लगाती हर जुबां- हे ईश्वर ये क्या कर दिया...

सिसकती सांसें, भीगी आंखें, चीत्कार लगाती हर जुबां- हे ईश्वर ये क्या कर दिया…

भांडेर/खूजा. उप्र के चिरगांव में ट्रैक्टर-ट्रॉली के पलटने से हुए दिल को दहला देने वाले हादसे में चार बच्चों समेत ११ की मौत होने से क्षेत्र में सन्नाटा व मातम पसरा है। शवों के पोस्टमॉर्टम के बाद जब सभी मृतकों के शव गांव में पहुंचे तो परिजन तो क्या आसपास के गांव के लोग भी अपने आंसू नहीं रोक सके। शनिवार की सुबह एक साथ छह महिलाओं की अर्थियां व चार मासूमों के शव हाथों में देख हर आंख रोने लगी। गांव में खाना तो क्या किसी के यहां चाय भी नहीं बनाई गई।
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हादसे में पंडोखर गांव निवासी बलवीर जाटव के कुटुंब की पुष्पा देवी, मुन्नी देवी, सुनीता बाई, पूजा देवी, राजो, प्रेमवती, कुसमा देवी व चार बच्चों करस्या (10) पुत्री अनिल कुमार ,परी (1) पुत्री नीरू अनुष्का (4) पुत्री बंटी व अबि (1.5) पुत्र पवन की मौत हुई थी। एक साथ 11 लोगों की मौत से परिवार पर प्रकृति का जैसे वज्रपात ही हो गया। पोस्टमॉर्टम कर जब शवों को गांव लाया गया तो लोगों की आंख से आंसू नहीं रुका। यही नहीं रात भर गांव के लोग सो भी नहीं सके। जब छह अर्थियां निकलीं तो हर तरफ राम-नाम सत्य के अलावा किसी की आवाज नहीं निकल रही थी। एक महिला चूंकि देवरी गांव की थी लिहाजा उसका अंतिम संस्कार देवरी में ही किया गया। कांग्रेस के जिपं सदस्य राम किंकर गुर्जर, नारायण सिंह, भाजपा के हरिओम त्रिपाठी, जीतू दांगी मौजूद रहे।
झोली फैलाकर मांगी मदद

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मृतक के परिवार की मदद के लिए दोहरे समाज सेवा समिति के लोगों ने मुक्तिधाम पर ही झोली फैलाकल लोगों से मदद मांगी। किसी ने एक हजार, किसी ने पांच सौ रुपए तो किसी ने ५० रुपए दिए। इस तरह देखते ही देखते १५ हजार रुपए इक_ा हो गए। इस दौरान पूर्व सरपंच उत्तम सिंह भास्कर, हरी राम दोहरे आदि मौजूद थे। तत्काल इसे पीडि़तों में बांट दिया गया। ग्राम पंचायत ने हरेक मृतक के परिवार को अंतिम संस्कार के लिए राशि प्रदान की।
घूंघट में मुंह छिपा रोई महिलाएं

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चूंकि शवों के अंतिम संस्कार में करीब डेढ हजार लोग पहुंच गए थे, लेकिन गांव की महिलाओं से भी नहीं रहा गया और वे भी मुक्तिधाम जा पहुंची। महिलाओं के चेहरे घूंघट में थे पर जोर-जोर से रोने की आवाज आ रही थी। चूंकि सारे बच्चे 12 साल से कम उप्र के थे लिहाजा उन्हें धरती मां की गोद में दफनाया गया तो महिलाओं के शवों को अग्नि के समर्पित किया गया।
श्मशान पड़ गया छोटा, नदी किनारे बनाया

गांव में यूं तो श्मसान घाट दूसरी जगह है लेकिन उसमें एक साथ छह शव जलाने व चार मासूमों के शवों को दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई । गांव वालों व प्रशासन के अधिकारियों ने तत्काल ही जेसीबी से पहुंज नदी के किनारे गड्ढे कराए। यही नहीं जहां बच्चों को दफनाया गया उन्हीं के पास महिलाओं के शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मौके पर भांडेर विधायक रक्षा सिरोनियां उनके पति संतराम, पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनियां, तहसीलदार भांडेर सूर्यकांत त्रिपाठी, सीईओ जनपद भटनागर समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। बाद में सेंवढ़ा विधायक घनश्याम सिंह मौके पर पहुंचे।

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