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दौसा

हृदयस्थल पर ‘काला पानी’ का आघात

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दौसाSep 09, 2018 / 08:13 am

gaurav khandelwal

dausa gandhi circle

हृदयस्थल पर ‘काला पानी’ का आघात

दौसा. कहने को तो दौसा जिला मुख्यालय है, लेकिन यहां की हालत गांवों से भी बदत्तर बनी हुई है। हृदयस्थल कहे जाने वाले गांधी तिराहे पर जमा शहर का ‘काला पानीÓ लोगों को आघात पहुंचा रहा है। वर्षा पानी निष्क्रमण के उचित प्रबंध नहीं होने का खामियाजा सैकड़ों लोग प्रतिदिन भुगतने को विवश है। जबकि गांधी तिराहे से जिले के आला अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों का आना-जाना बना रहता है, लेकिन यहां की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है,
वहीं नगर परिषद के कर्मी तो कुम्भकर्णी नींद सोए हुए हैं। उन्हें तो जनसमस्याओं के प्रति कोई सरोकार ही नहीं है।
गांधी तिराहे के निकट बरसाती नाला कई दिनों से अवरुद्ध है। ऐसे में थोड़ी बारिश होते ही नाला ओवरफ्लो होकर उसका दूषित पानी सड़क पर फैल जाता है।
जो राहगीरों व वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। कई बार तो तेज गति में वाहन निकलने पर तो गंदा पानी उछलकर राहगीरों के कपड़ों को खराब कर देता है। यह हालत गांधी तिराहे ही नहीं, बल्कि अन्य सड़क मार्गों की भी है। बारिश पूर्व नगर परिषद द्वारा शहर के सभी बरसाती नालों की सफाई नहीं कराने से नालों का पानी सड़कों पर फैल रहा है।

शहर के व्यस्ततम मार्ग कहे जाने वाला मण्डी रोड का तो हाल यह है कि बारिश नहीं होने पर तो वाहनों के गुजरने पर धूल का गुबार उठता है, वहीं बारिश हो जाने पर सड़क पर जगह-जगह हो रहे गड्ढों में पानी भर जाने पर वाहन गुजरने पर दूषित पानी लोगों के कपड़े खराब देता है, कहीं जगह तो दूषित पानी दुकानों तक पहुंच जाता है। इस मार्ग पर लोगों का पैदल चलना तो दूर दुपहिया वाहन भी हिचकोले खाते गुजरते हैं। कई बार तो गड्ढों में पानी भरा होने पर वाहन चालक गिरकर चोटिल हो चुके हैं।

यही हाल गुप्तेश्वर रोड सहित अन्य मार्गों का बना हुआ है। वहां भी सड़क का नामोनिशान मिट चुका है। सड़क के नाम पर गहरे गड्ढे हैं। जिनमें गिरकर आए दिन दुपहिया वाहन चालक व राहगीर चोटिल हो रहे हैं।
नहीं मिलता समय पर वेतन नगर परिषद में संवेदक के अधीन सफाईकर्मियों ने बताया कि उन्हें समय पर वेतन भी नहीं मिलता है।
उन्हें महिने के आखिरी सप्ताह में भुगतान किया जाता है। इसके लिए भी कई बार नगर परिषद कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हंै। वेतन समय पर नहीं मिलने के कारण कई बार तो उधारी में राशि लेकर घरेलू खर्च चलाना पड़ता है।
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