scriptआओ गांव चलें / देवभूमि निहालपुरा को है विकास कार्यों की दरकार | Come to the village Devbhoomi Nihalpura is in need of development work | Patrika News

आओ गांव चलें / देवभूमि निहालपुरा को है विकास कार्यों की दरकार

locationदौसाPublished: Apr 12, 2021 07:19:41 am

Submitted by:

Rajendra Jain

शिक्षा, सड़क व पेयजल की समस्या

आओ गांव चलें / देवभूमि निहालपुरा को है विकास कार्यों की दरकार

सिकंदरा. अचलपुरा-निहालपुरा में स्थित देवनारायण मंदिर।

दौसा (सिकंदरा) . आधुनिक मंदिरों के देव भूमि के नाम से पहचान बनाने वाले निहालपुरा गांव को विकास की दरकार है। यहां पिछले एक दशक में करोड़ों रुपए की लागत से भगवान श्रीदेवनारायण एवं आराध्य श्रीरामदेव बाबा के भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ। इन मंदिरों पर प्रतिवर्ष लगने वाले लक्खी मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। धीरे धीरे अब निहालपुरा अचलपुरा ग्राम पंचायत सीमा पर बने मंदिरों के इस स्थान को देवभूमि के नाम से जाना जाने लगा है। इसके बावजूद भी प्रशासन व सरकार की ओर से इस गांव के विकास के लिए कोई ठोस व कारगर प्रयास नहीं किए गए। सरकार इस इस क्षेत्र का विकास के लिए प्रयास करें तो आने वाले दिनों में निहालपुरा गांव नाम भी पर्यटक मानचित्र पर आ सकता है।
देव स्थानों से जुडऩे के लिए बने कॉरिडोर सिकंदरा से 6 किलोमीटर की दूरी पर टोरड़ा सड़क मार्ग पर निहालपुरा व अचलपुरा गांव की सीमाओं पर बने देवनारायण व रामदेव मंदिर सड़क कॉरिडोर बनने से पपलाज माता मंदिर लालसोट व मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़ सकते हैं, वहीं आभानेरी चांदबावड़ी व श्रीमहावीरजी-गंगापुर को जाने वाली सड़क मार्ग से भी सीधा जुड़ सकते हैं।
निहालपुरा गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर कैलाई मुख्य स्टैंड से सीधा जुड़ा हुआ है। इस सड़क मार्ग का चौड़ीकरण होने से क्षेत्र को पर्यटक मानचित्र में स्थान मिल सकेगा। गांव में कैलाई मार्ग पर वर्षों पुराना चमत्कारी मस्तावाला भैंरुजी के मंदिर पर भी दूर-दूर से प्रतिवर्ष श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके साथ निहालपुरा मुख्य गांव में ठाकुरजी, कल्याण जी, बालाजी महाराज के 300 वर्ष पुराने मंदिरों को भी जीर्णोद्धार की दरकार है।
पेयजल है प्रमुख समस्या
गांव में भूजल स्तर गिरने से यहां के लोगों के लिए पेयजल आपूर्ति प्रमुख समस्या बनी हुई है। ऐसे में लोगों को प्रतिमाह 4 से 5 हजार रुपए तक का टैंकरों से पानी खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। हालांकि गांव के समीप जनता जल योजना के तहत टंकी बनी हुई है, लेकिन डेढ़ किलोमीटर दूर नलकूप से आने वाली पाइप लाइन में लीकेज होने के कारण टंकी में कई बार पानी नहीं पहुंच पाता है। गांव की दो तिहाई आबादी पेयजल समस्या से जूझ रही है।
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