दौसा जिला मुख्यालय पर ही कई कारों में बच्चों को स्कूल ले जाया जाता है। तीन दिन पहले लाहड़लीकाबास गांव में एक कार की गैस किट में रिसाव होने से आग लग गई थी तथा तीन बच्चे झुलस गए थे। पहले भी गैस से संचालित कारों में आग लगने के हादसे हो चुके हैं। हादसों के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी नींद में हैं तथा वाहन संचालक नियम तोडऩे से बाज नहीं आ रहे।
जिले में काफी संख्या में व्यावसायिक वाहन एलपीजी गैस से चलाए जा रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग में एलपीजी से चलने के लिए पंजीयन होने वाले वाहनों की संख्या बेहद कम है। एलपीजी गैस वाले वाहनों से हादसे भी होते रहते हैं।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 से लेकर अभी तक जिले में एलपीली से चलाने के लिए मात्र 268 व्यावसायिक वाहन पंजीकृत हैं। इसमें 192 ई-रिक्शा, 19 एम्बुलेंस, 4 थ्री व्हीलर व 12 गुड्स केरियर वाहन हैं। मात्र 41 व्यावसायिक कार ही एलपीजी से चलने के लिए अधिकृत हैं।
खास बात यह है कि जिस खास कार को अधिकतर गैस से संचालित किया जाता है। सरकारी रिकॉर्ड में वह मात्र 1 ही गैस से संचालन के लिए पंजीकृत है। जबकि दौसा शहर में ही दर्जनों गैस वाली कार टैक्सी स्टैण्ड पर खड़ी मिल जाएंगी। साथ ही ये कारें बाल वाहिनियों के रूप में भी दौड़ रही है, जबकि ये गैस से संचालन के लिए अधिकृत नहीं हैं।
16 हजार वाहन व्यावसायिक
जिले में वर्ष 2010 से अब तक करीब 16 हजार व्यावसायिक एवं 2 लाख निजी वाहन पंजीकृत हुए हैं। पेट्रोल-डीजल से चलने वाली करीब 2800 व्यावसायिक कार पंजीकृत हैं। इसके अलावा 1879 निजी कार एलपीजी से चलाने के लिए पंजीकृत हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जब इतनी बड़ी संख्या में निजी वाहन पेट्रोल व एलपीजी से चलाने के लिए पंजीकृत हैं, तो व्यावसायिक वाहनों की संख्या कम कैसे है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि वाहन चालक बिना पंजीयन ही गैस किट लगवाकर वाहन दौड़ा रहे हैं।
अवैध रिफलिंग को मिल रहा बढ़ावा
एलपीजी से चलने वाले वाहनों में घरेलू गैस सिलेण्डर से भी अवैध रूप से गैस रिफलिंग की जाती है। इससे हर समय हादसे का अंदेशा बना रहता है। इसके बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं होने से अवैध रिफलिंग को बढ़ावा मिल रहा है।
आरके गर्ग, जिला परिवहन अधिकारी दौसा