अधिक से अधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान सब्जियों में कई प्रकार की दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। वह अपने फायदे के लिए दूसरे की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे में खेतों में खड़ी फल व सब्जियों की फसलों में छिड़काव करने के बाद कीटनाशक रासायनिक दवाइयों के अंश पौधे पर रहने के साथ-साथ उसके फल पर भी रहता है। इनका सेवन करने से हृदय रोग, किडनी खराब, कैंसर व न्यूरो सम्बन्धी कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है।
इन रोगों के लिए ये डाले जाते हैं कीटनाशक सब्जियों होने तुलासिता (फफूंदी), झुलसा, एन्थ्रेकनोज, पाउडरी मिल्डयू, विषाणु रोग, मोयला, लाल मृग, फल मक्खी, बरूथी, मोयला व हरतोला कटवर्म, सफेद लट, झुलसा रोग, विषाणु रोग, मृदुगलन, फल छेदक,कटवा लट, थ्रिप्स, अंगमारी, गुलाबी जड़ गलन रोग लगते हैं।
यदि उद्यान विभाग की माने तो इन रोगों के बचाव के लिए मैन्कोजेब, केराथेन एलसी, डायमोफियोट, मैलाथियान, कारबोरिल घुलन एवं पाउडर, इमिडाक्लोप्रिड, क्यूनालफॉस, कार्बोफ्यूरान, मिथाइल डिमेटोन, बावैस्टिन आदि कीटनाशक रासायनिक दवाइयां दी जाती है।
फलों की बात करें तो उनमें भी आम का फुदका, मिलीबग, छाल भक्षक कीट, अनार की तिल्ली, फल मक्खी, नीबू तितली, फल चूसक पतंगा, लीफमाईनर, सिट्रस सिल्ला, रैड स्पाइडर माईट आदि रोग लगते हैं।
इनमें भी क्यूनालफास, पिचकारी केरोसीन, फारमोथियॉन आदि रासायनिक दवाइयां दी जाती है, लेकिन इन दवाइयों का प्रयोग यदि उद्यान एवं कृषि विभाग के पर्यवेक्षकों की राय लेकर किया जाए तो इन फल व सब्जियों के सेवन से कम नुकसान होता है, लेकिन किसान न तो विभागीय अधिकारियों की राय ले रहे हैं और नहीं दवा को मात्रा के हिसाब से छिड़काव करते हैं।
इन सब्जियों की होती है पैदावार जिले में सामान्यतया किसान भिण्डी, टमाटर, लौकी, कद्दू, तरबूज, खरबूजा, चिकनी तुरई, धारीधार तुरई, करेला, टिण्डा, ककड़ी, टमाटर, मिर्च, प्याज, अरबी, गोभी, बैंगन आदि सब्जियों का उत्पादन करते हैं।
नियमों से दे रासायनिक दवाइयां तो नुकसान नहीं सब्जियों एवं फलों के उत्पादन बढ़ाने के किसानों को नीमकोट, बायो पेस्टिसाइड आदि दवाइयां का प्रयोग करना चाहिए। फिर भी यदि नुकसान को रोकने के लिए दवाइयां दी जाए तो उनको कृषि या उधान विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों की राय से ही देना चाहिए।
विभागीय अधिकारियों ने किसानों को समझाने के लिए सभी प्रकार की सब्जी व फलों के लिए रोग के हिसाब से दवाइयों के लिए एक चार्ट बना रखा है उसके हिसाब से ही दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए।
अनिल शर्मा, सहायक निदेशक उद्यान विभाग दौसा