जिला मुख्यालय की आबो-हवा को प्रदूषित करने के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार ऑटो हैं। हाल यह हैकि जहां देखो वहां टेम्पो जहरीला धुआं उगलते दिखाईदेते हैं। स्थिति यह हैकि कुछ देर गांधी तिराहे पर खड़े हो जाओ और फिर सफेद रूमाल से चेहरा साफ करो तो वह काला हो जाएगा। यातायात व्यवस्था बिगाडऩे के साथ ही प्रदूषण में इजाफा करने वाले करीब 500 ऑटो शहर में दौड़ रहे हैं। जिले के आला अधिकारी कई बार ऑटो के अगल-बगल से गुजरते हैं, लेकिन फैलाए जा रहे प्रदूषण की ओर ध्यान नहीं दिया।
दौसा शहर में गांधी तिराहे से लालसोट रोड, जयपुर रोड व आगरा रोड की तरफ सैकड़ों टेम्पो संचालित होते हैं। सुबह पांच बजे से ही देर शाम तक ऑटो की कतार लगी रहती है। खास बात यह हैकि ऑटो अधिकतर चालू ही खड़े रहते हैं और धुआं उड़ाते रहते हैं। आधी सड़क पर ऑटो वालों का कब्जा रहता है। इनकी वजह से प्रदूषण को ही नहीं, बल्कि सौन्दर्यीकरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
इसी तरह रेलवे स्टेशन के बाहर तो ट्रेन के आगमन के समय थाने तक ऑटो की कतार लग जाती है। सवारियों की इंतजार में खड़े-खड़े काला धुआं उड़ाते रहते हैं। कलक्ट्रेट्र, सोमनाथ, गुप्तेश्वर सर्किल, सैंथल मोड़ आदि जगह भी ऑटो का धुआं नजर आता है। चिंताजनक बात यह है कि जिला अस्पताल क्षेत्र भी इसकी जकड़ में है। सदैव अस्पताल के गेट पर ऑटो वालों का तांता लगा रहता है। प्रदूषण के कारण मरीजों का आना-जाना मुश्किल हो जाता है। इनके अलावा जयपुर, लालसोट व सिकंदरा सहित अन्य मार्गों की ओर चलने वाली जीपें, टेरेक्स, मिनी बसें, बसें आदि भी प्रदूषण फैला रही है।
शहर के सोमनाथ औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्रियों की चिमनी से दिन-रात धुआं उड़ता है। यहां होटल्स तक संचालित हो रही हैं। इसके अलावा आसपास दर्जनों कॉलोनियां बस गईहैं। चिमनियों से निकलने वाला धुआं क्षेत्र के हजारों लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। वहीं शहर के अंदर भी कुछ इकाइयां संचालित हैं, जिनसे धुआं उठता है। बापी औद्योगिक क्षेत्र भी समीप ही संचालित है।
दौसा में फिलहाल डीजल इंजन वाली ट्रेनों का संचालन होता है। ट्रेक का विद्युतिकरण अभी नहीं हुआ है। रेलवे स्टेशन भी शहर के बीचों-बीच है। ऐसे में प्रतिदिन 100 से अधिक आने वाली ट्रेनों व मालगाडिय़ों से निकलने वाला काला धुआं भी शहर के प्रदूषण को बढ़ाने में भूमिका निभा रहा है। ट्रेनों की रवानगी व ठहरने के दौरान धुएं के काला गुबार आसमान में दूर तक नजर आता है।
– शहर में दौड़ रहे टेम्पो व अन्य व्यावसायिक वाहनों में से 60-70 प्रतिशत काला धुआं उगल रहे हैं। इस धुएं के साथ कार्बन मोनो ऑक्साइड हवा में घुल रही है।
बढ़ रहे श्वास के रोगी, तनाव भी बढ़ा
बढ़ते प्रदूषण के कारण जिले में श्वास के रोगी भी बढऩे लगे हैं। जिला अस्पताल में औसतन करीब 1500 मरीज प्रतिदिन आते हैं। इनमें से 100 से 150 मरीज औसतन श्वास लेने में तकलीफ, हृदय रोग, अस्थमा आदि से पीडि़त आते हैं। चिकित्सकों का मानना हैकि प्रदूषण भी बीमारियों को बढ़ाने में बड़ा कारण है।
फिजिशियन डॉ. केसी शर्मा ने बताया कि प्रदूषण से अस्थमा जैसी बीमारियों के मरीज बढ़े हैं। लापरवाही बरतने पर कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। स्व’छ हवा नहीं मिलने से सबसे बड़ा दुष्परिणाम तनाव के रूप में व्यक्ति में देखा जा रहा है। अस्थमा व हृदय रोग पीडि़तों को प्रदूषित जगहों से बचना चाहिए। आम आदमी को भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मुंह पर कपड़ा लगाकर वाहनों के धुएं से बचना चाहिए।
पेड़, पानी और पर्यावरण 3 पी पर ध्यान देने की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन का दौर है। हम पर्यावरण संरक्षण की बात नहीं करेंगे तो टिकाऊ विकास नहीं कर पाएंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए एक विद्यार्थी, एक पौधा लगाने की मुहिम शुरू की है। हरियाली को बढ़ाकर प्रदूषण को बैलेंस किया जा सकता है। इसके अलावा शहर में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों व इकाइयों की जांच कर कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे।
डॉ. गोवर्धनलाल शर्मा, उपखण्ड अधिकारी, दौसा