बजरी परिवहन में न केवल सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार फैला, बल्कि कई दलात भी सक्रिय हो गए। खास बात यह है कि बजरी परिवहन पर रोक लगने के बाद भी सरकारी निर्माण कार्यांे में बजरी का सरेआम बजरी का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है।
कई पुलिस थानों को पार कर आती है बजरी
सवाईमाधोपुर की बनास नदी से दौसा तक आधा दर्जन पुलिस थाने एवं पुलिस चौकियों का इलाका पड़ता है, फिर भी बनास नदी से टै्रक्टर-ट्रॉलियों एवं ट्रकों में बजरी भर कर दौसा ही नहीं अलवर, भरतपुर तक अवैध रूप से बजरी जाती है। बनास नदी से निकलने ही मलारना डूंगर, मण्डावरी, लालसोट, रामगढ़ पचवारा, नांगलराजावतान, सदर, कोतवाली आद इलाकों की पुलिस को भेदते हुए बजरी दौसा तक आ जाती है। यही नहीं दौसा होकर से अलवर व भरतपुर तक भी बजरी का परिवहन होता है।
देनी पड़ती है ‘एन्ट्रीÓ
बनास से बजरी भर कर लाने वालों में से कुछ ने बताया कि 500-1000 रुपए के बीच में ‘एन्ट्रीÓ चुकानी पड़ती है। रात को गश्त के नाम पर बजरी वाहनों से जमकर उगाही की जाती है। 1 हजार की बजरी दौसा तक 10 हजार की हो जाती है ट्रैक्टर चालकों का कहना है कि बनास में एक ट्रॉली एक हजार रुपए के आस-पास भर दी जाती है, लेकिन यहां तक आते-आते बजरी भराई, टै्रक्टर-ट्रॉली में डीजल, एन्ट्री व चालक की तनख्वाह आदि से दौसा आते-आते करीब 10 हजार रुपए खर्च हो जाते हंै।
बनास से बजरी भर कर लाने वालों में से कुछ ने बताया कि 500-1000 रुपए के बीच में ‘एन्ट्रीÓ चुकानी पड़ती है। रात को गश्त के नाम पर बजरी वाहनों से जमकर उगाही की जाती है। 1 हजार की बजरी दौसा तक 10 हजार की हो जाती है ट्रैक्टर चालकों का कहना है कि बनास में एक ट्रॉली एक हजार रुपए के आस-पास भर दी जाती है, लेकिन यहां तक आते-आते बजरी भराई, टै्रक्टर-ट्रॉली में डीजल, एन्ट्री व चालक की तनख्वाह आदि से दौसा आते-आते करीब 10 हजार रुपए खर्च हो जाते हंै।
निर्माण कराने वालों पर पड़ रहा है भार
बजरी की महंगाई का भार निर्माण कार्य कराने वाले आम लोगों पर ही पड़ रहा है। लोगों को पहले 50 रुपए क्विंटल बजरी मिलती थी, लेकिन अब उनको 110-115 रुपए प्रति क्विंटल रुपए मिल रही है।