दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले यह पक्षी सर्दियों के मौसम में तिब्बत, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस आदि जगहों से लगभग आठ हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय करते हुए हिमालय की ऊंची चोटियों को पार कर भारत में आते हैं।
ये पक्षी अपने प्रवास के दौरान उड़ते समय अंतर बनाए रखने के लिए, एक दूसरे के साथ संवाद करने तथा अपनी ऊर्जा बचने के लिए वी-आकार की संरचनाओं में उड़ते हैं। बार हेडेड गूज लगभग 25 से 27 हजार फीट की ऊंचाई उडऩे में सक्षम बहुत शक्तिशाली फ्लायर हैं जो इतनी ऊंचाई पर चलने वाली तेज हवाओं और कम तापमान को भी सहन करके अपने पंखों से लगातार गर्मी उत्पन्न करते रहते हैं।
मोरेल बांध का जलस्तर अभी कम होने के कारण और आसपास गेहूं की फसल, घास और वनस्पति पर्याप्त मात्रा में होने के कारण बार हेडेड गूज को पर्याप्त भोजन व अनुकूल माहौल मिला हुआ है। ये पक्षी कभी-कभी मोलस्क, कीड़े और क्रस्टेशियंस भी खाते हैं। ये अपना घोंसला खेत के टीले या पेड़ पर बनाते हैं। एक बार में तीन से आठ अंडे देते हैं। 27 से 30 दिनों में अंडे से बच्चे बाहर निकलते हैं। दो महीने के बच्चे उड़ान भरने लगते हैं। (नि.सं.)
Migratory birds reach Morel Dam by crossing HimalayasBar Headed Goose