बाजारों में निकले अधिकारी:
बाजारों में आम दिनों की तरह दुकानें खुलने और भीड़ उमडऩे की सूचना मिलते ही एसडीएम गोपाल जांगिड़ भी हरकत में आ गए और कोथून रोड क्षेत्र में जा पहुंचे और वहां रेस्ट हाउस के सामने एक किराणा स्टोर पर उमड़ी भीड़ व एक मिष्ठान को खुला देख कर उन्होंने मौके पर ही पालिका के कर्मचारियों को तलब करते हुए दोनों ही दुकानों को सीज करने के निर्देश दिए। इसके बाद सभी अधिकारी पुलिस थाने पर एकत्रित हुए। जहां से एसडीएम के साथ सहायक कलक्टर मिथलेश मीना, तहसीलदार सीमा घुणावत, नायब तहसीलदार भरोसीलाल जाटव, थाना प्रभारी राजवीर सिंह राठौड़, ईओ सीमा चौधरी व सफार्ई निरक्षक बनवारीलाल बैरवा जाप्ते के साथ रवाना हुए और आधा दर्जन दुकानों को सीज करने की कार्रवाई की। अधिकारियों ने कई दुकानों को बंद कराया।
असमंजस में रहे लोग, उड़ी गाइडलाइन की धज्जियां
बांदीकुई. मुख्यमंत्री द्वारा रविवार देर रात जनअनुशासन पखवाड़े की शुरूआत की गई। इसके अन्तर्गत दो पखवाड़े के लिए कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नई गाइड़लाइन जारी कि गई, लेकिन जारी की गई नवीन गाइड़लाइन को आमजन व व्यापारी समझ ना सके। क्या तो खुलेगा, कब तक खुलेगा जैसे सवालों में उलझे रहे। इसी दौरान सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे विभिन्न मैसेजों से भी लोग भ्रमित होते रहे। इसके चलते सोमवार को शहर की अधिकांश दुकानें खुली रही और आमजन आम दिनों कि तरह आवाजाही करते रहे।
इस दौरान कई व्यापारी तो जानकारी के बावजूद भी दुकानों के पास मौजूद रहें और चोरी छिपे लोगों को सामान विक्रय करते रह़े। शहर में भीड़ के चलते कई जगह तो हालात ही नियंत्रण के बाहर हो गए। माधोगंज मंडी में उमडी़ खरीदारों की भीड़ के चलते उनके वाहनों का जमावडा़ रहने से जाम के हालात बन गए। इसके चलते कई घंटो तक वाहन फंसे रहे और नौबत लोगों की नोंक झोक तक आ गई। आगरा फाटक पर लगी वाहनों की लंबी कतारों ने एक घंटे तक का लम्बा जाम लगा दिया। सावों को देखते हुए खरीदारी के लिए आए ग्राहको में भी होड़ मची दिखाई दी। इस दौरान लोग मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग को ही भूला बैठे।
अधिकारी रहे बैठकों में व्यस्त: प्रदेश में बढ़ते संक्रमण को लेकर सरकार चिंतित दिखाई दे रही है तो वहीं प्रशासनिक अधिकारी भी नगरपालिका, पुलिस, चिकित्सा सहित अन्य विभागों की बैठकें लेते नजर आए। इसके चलते शहर में लोगों ने गाइडलाइन के नियमों के उल्लंघन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जनअनुशासन पखवाड़े के दौरान आमजन अनुशासन भूला अपनी व परिजनों की जान की परवाह किए बिना सरपट दौड़ता रहा।