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दौसा

मुआवजे की आस में पथराई आंखें

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दौसाDec 24, 2018 / 09:20 am

gaurav khandelwal

cilikosis

मुआवजे की आस में पथराई आंखें

सिकंदरा. पवन छावड़ी
जिन हाथों के हुनर ने क्षेत्र को पत्थर नक्काशी कार्य मेें प्रसिद्धि दिलाई, उन कामगार श्रमिकों के परिजन आज दूसरों के आगे सहायता के लिए हाथ फैलाने को मजबूर हैं। पत्थर नक्काशी कार्य करते-करते इन श्रमिकों को प्राणघात सिलिकोसिस बीमारी ने जकड़ लिया। बीमारी के गिरफ्त में आने से सैकड़ों श्रमिक अपने प्राण त्याग चुके हैं तथा इतने ही श्रमिक आज भी मौत व जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। कई बीमार व मृतक श्रमिकों के परिवार पर आज रोजी रोटी का संकट बना हुआ है। ना तो सरकार इन श्रमिक के परिवार की सुध ले रही है, ना ही कोई स्वयंसेवी संस्था ने इनकी सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं। ऐसे में ये परिवार मुफलीश में जीवन जी रहे है।

केस न.-1..
– मौत के छह माह बाद भी नहीं मिला मुआवजा
निहालपुरा के बड़ा नीम ढाणी निवासी रामकिशोर सैनी की नौ जून 2018 को सिलिकोसिस बीमारी से जूझने के बाद मौत हो गई। रामकिशोर की पत्नी हबली देवी ने बताया कि उनके पांच लड़के व एक लड़की है। इन सभी की पढ़ाई की उम्र है, लेकिन आर्थिक तंगहाली के चलते बच्चों को पढ़ाई की उम्र में मजदूरी कर गुजारा चलाना पड़ रहा है। हबली देवी ने बताया कि पति करीब पांच वर्ष से सिलिकोसिस बीमारी से पीडि़त था। कर्जा लेकर लाखों रुपए बीमारी के इलाज में लगा दिए। इसके बाद भी पति की जान नहीं बची। उन्होंने बताया कि कई बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट चुके हैं। इसके बाद भी सिलिकोसिस बीमारी का कार्ड से मिलने वाली आर्थिक सहायता नहीं मिली।

केस न.-2
प्रतिमाह 15 हजार रुपए दवाई का खर्चा
निहालपुरा गांव स्थित मावर ढाणी में कैलाशचंद सैनी पिछले दो साल से सिलिकोसिस बीमारी से जूझ रहा है। कैलाश ने बताया कि काफी मश्क्कत़ के बाद एक वर्ष पूर्व चिकित्सकों ने सिलिकोसिस बीमारी का कार्ड बनाया। कार्ड बनने के बाद सरकारी चिकित्सालय में उपचार नहीं मिला। परिजन अलवर के निजी चिकित्सक से कैलाश का उपचार करा रहे है। जिसका एक माह का दवाई खर्चा करीब 15 से 20 हजार रुपए का है। कैलाश की पत्नी विमला देवी ने बताया कि दो लड़के व एक लड़की सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे है। जैसे तैसे मेहनत मजदूरी कर घर का गुजारा चलता है। पति के इलाज में कर्जा लेकर पैसे लगा रहे है। विमला ने बताया कि कई बार श्रम विभाग के कार्यालय के चक्कर लगा चुके है। इसके बाद भी उपचार का मुआवजा नहीं मिला।
ये मिलता है मुआवजा- पत्थर नक्काशी कार्य करने वाले पंजिकृत श्रमिक को बीमारी के उपचार के लिए दो लाख व मृतक श्रमिक के परिजनों को तीन लाख रुपए की सहायता मिलती है। श्रम कल्याण अधिकारी ने बताया कि 14 अप्रेल 2018 से पूर्व आवेदन करने वाले बीमार श्रमिक को उपचार के लिए एक लाख रुपए की सहायता मिलेगी।

लिखेंगे पत्र..
– श्रमिकों के मुआवजे के लिए श्रम विभाग को पत्र लिखा जाएगा।
रेणूदेवी बैरवा, सरपंच निहालपुरा।


नहीं बन रही श्रमिक डायरी
– श्रम विभाग की उदासीनता के कारण बीमारी से पीडि़त श्रमिकों को मुआवजा राशि के लिए भटकना पड़ रहा है। श्रमिक डायरी भी नहीं बन रही है। श्रमिक पत्थर व्यवसाय से किनारा करने लगे हैं।
– आर. पी. सैनी, अध्यक्ष, सैंड स्टोन दस्तकार विकास समिति।


जल्द देंगे मुआवजा राशि
चुनाव आचार संहिता लगने के कारण मुआवजा राशि नहीं दे पाए। सभी पीडि़तों को जल्द ही मुआवजा राशि दी जाएगी।
विक्रमसिंह, श्रम कल्याण अधिकारी दौसा।

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