जिले में कई वर्षों की तुलना में इस वर्ष आमजन को गर्मी के सीजन में बिजली की बेहिसाब कटौती का दंश झेलना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाके तो दूर जिला मुख्यालय पर भी बिजली व्यवस्था का हाल-बेहाल है।जरा सा हवा के झोंका आते ही बिजली आपूर्तिठप हो जाती है। कभी मरम्मत के नाम पर तो कभी लोड शैडिंग के नाम से कटौती हो रही है। खास बात यह है कि बिजली समस्या से पेयजल की परेशानी भी खड़ी हो जाती है, क्योंकि अधिकतर इलाकों में बिजली चलित नलकूपों पर ही पानी की व्यवस्था टिकी हुईहै। लोगों का कहना है कि वर्तमान सरकार के पिछले चार वर्ष में बिजली की कटौती का उतना सामना नहीं करना पड़ा, जितना इस वर्ष झेलना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय पर सोमवार रात कहीं तीन तो कहीं पर चार घंटे बिजली कटौती से लोगों की नींद ***** हो गई। लोगों को रात छतों या फिर मकानों के आंगन में घूम कर काटनी पड़ी। रात को 10 बजे से बिजली वितरण व्यवस्था गड़बड़ा गई थी, जो कहीं पर तीन तो कहीं पर चार बजे सुचारू हुई। ऐसा बीते कईदिनों से चल रहा है। पूरे गर्मी के सीजन में शायद ही कोईदिन गया हो, जिस दिन बिजली व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हुई हो। बीते एक माह से तो बार-बार ट्रिपिंग हो रही है। कई दिन तो दस -पन्द्रह बार तक बिजली गुल हुई। शहरवासी भी विद्युत निगम अभियंताओं के पास शिकायत करते करते-करते थक चुके हैं।
अभियंताओं ने बताया कि शहर के दो नम्बर फीडर में बजरंग मैदान के समीप ट्रांसफॉर्मर जल गया। मंगलवार सुबह श्याममंदिर के समीप तार टूट गया। इसी प्रकार एक नम्बर फीडर में भी जगह-जगह बिजली बाधित रही। इसी प्रकार शहर में किसी जगह ट्रांसफॉर्मर में ट्रिपिंग आ गई तो कहीं फॉल्ट आ गया। यह तो जिला मुख्यालय की हालत है, ग्रामीण इलाकों में तो कोई धणी धोरी ही नहीं है। बीती रात ग्रामीण इलाकों में भी हल्की सी हवा चली और बिजली गुल। पहले तो लोग बिजली आने का इंतजार करते रहे, लेकिन नहीं आई तो परेशान होकर छत पर सो गए। अधिकांश इलाकों में सुबह तीन बजे बिजली सप्लाई सुचारू हुई।
पूरे तंत्र में ही बीमारी
कहने को तो डिस्कॉम ने शहर के 220 केवी विद्युत निगम जीएसएस की मरम्मत में लाखों रुपए खर्च कर उसे नया रूप दे दिया। वहीं शहर में भूमिगत केबल बिछा दी, लेकिन हकीकत यह है कि इस वर्ष शहर के 220 केवी जीएसएस में भी कई बार तकनीकी खामी आने से विद्युत सप्लाई बाधित हो गई। भूमिगत केबल में भी आए दिन फॉल्ट आता है। खम्भों पर बिछी 11 केवी एवं एलटी लाइन का तो हाल ही खराब है। पता नहीं कब फाल्ट आ जाए, लेकिन डिस्कॉम तंत्र को मजबूत करने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
बिजली सप्लाई में आए दिन खलल पडऩे के पीछे राजनीति भी एक कारण है। किसी भी प्वाइंट या इलाके पर अभियंता को लगाया जाता है और जब तक वह इलाके से जानकार होता है, तब तक वह तबादले का शिकार हो जाता है। नए अभियंता या कर्मचारी को प्रक्रिया समझने में समय लगता है। ऐसे में नए अधिकारी क्षेत्र से अनजान होने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाते।
मुश्किल से होता है अमल
कहने को तो डिस्कॉम ने बिजली सप्लाई बाधित होने के टोल फ्री नम्बर दे रखे हैं, लेकिन उन पर शिकायत करने के कई घंटों बाद कर्मचारी आते हैं। बार-बार फोन करने पर बस आश्वासन ही मिलते हैं। खासकर रात के समय तो भगवान भरोसे ही व्यवस्था रहती है।
बांट रखे हैं दो हिस्से
डिस्कॉम ने दौसा शहर के बिजली तंत्र को दो हिस्सों में विभाजित कर रखा है। एक तो एलटी लाइन व दूसरी 11 केवी लाइन। दोनों का अलग-अलग स्टाफ है। ऐसे में उपभोक्ता भी पसोपेश में रहते हैं कि उनकी सुनवाई कौन करेगा।
बिजली सप्लाई सुचारू चल रही है। अंधड़ आने पर तो एहतियात के तौर पर बिजली काटनी पड़ती है, फिर भी व्यवधान आ रहा है तो शीघ्र ही सुधार कराया जाएगा।
– एसएन गौरासिया, अधीक्षण अभियंता दौसा