कलक्टर ने पार्षदों की परेड कराई तो 31 मौजूद निकले। पार्षदों ने बताया कि 2 पार्षद निजी कार्य में व्यस्त होने के कारण नहीं आ सके। करीब 35 पार्षदों का समर्थन होने का दावा किया। हालांकि प्रस्ताव पारित कराने के लिए 30 पार्षद ही जरूरी हैं। कलक्टर ने कहा कि प्रस्ताव की नियमानुसार जांच कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ये दिया प्रस्ताव
प्रस्ताव में पार्षदों ने लिखा कि उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा के कार्यों व अनियमितताओं के विरुद्ध अविश्वास प्रकट करते है। उन्होंने शीघ्र बोर्ड की बैठक बुलाकर उप सभापति के खिलाफ मतदान कराने की मांग की। प्रस्ताव में पार्षद प्रहलादनारायण शर्मा, खेमचंद महावर, आरती गुप्ता, कैलाशचंद गुप्ता, दीपक प्रजापत, केदारप्रसाद शर्मा, परवीन बानो, रानू खान, निर्मलकुमार सैनी, हंसराज गुर्जर, आशीषकुमार शर्मा, बाबूलाल जैमन, शंकर मीना, रेशमा बंशीवाल, सभापति मुरलीमनोहर शर्मा, अजयकुमार शर्मा, महबूब अली, नंदकिशोर महावर, असमा बानो, मोहसिन खान, जसवंतकुमार बेनीवाल, सीमा सामरिया, शोभा शर्मा, अशोककुमार शर्मा, बीना सैनी, सुमन शर्मा, इन्द्रकुमार मीना, विनोदकुमार बैंदाड़ा, नीतू सैनी, सत्यप्रकाश मीना, मुकेश वर्मा, धर्मराज मीना व रोशनी मीना के हस्ताक्षर हैं। इनमें से रेशमा बंशीवाल व सीमा सामरिया मौजूद नहीं थी।
पूर्व सभापति राजकुमार जायसवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा को कार्यवाहक सभापति के रूप में दो माह कार्य करने का मौका मिला। उनका यह अल्प समय का कार्यकाल खासा चर्चा में रहा। इस कार्यकाल से ही पार्षदों में नाराजगी हुई, अन्यथा पहले वीरेन्द्र भी सभी के साथ थे। इधर, वीरेन्द्र शर्मा के समर्थक सोशल मीडिया पर दो माह में करीब दो दर्जन से अधिक कार्यों की लिस्ट प्रसारित कर काम गिना रहे हैं।