वहीं निजी विद्यालयों ने अभिभावकों के व्हाट्स एप या अन्य सोशल मीडिया एप पर पिछली कक्षा के अध्ययन के आधार पर अभ्यास वर्ग भेजना शुरू किया है। इससे बच्चे घर बैठे पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ ना समझ पाने पर मोबाइल पर शिक्षक उपलब्ध भी हैं। इससे लॉकडाइन के दौरान पढ़ाई का क्रम नहीं टूटेगा।
शिक्षकों को दी जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने समस्त पीईईओ के माध्यम से शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों तक लिंक्स पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है। साथ ही घर पर रहकर भी विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार पढ़ाई व अभ्यास जारी रखें यह सुनिश्चित करने को कहा है। शिक्षकों को सोशल मीडिया माध्यम से अभिभावकों व विद्यार्थियों के सम्पर्क में रहकर तत्परता से विषयगत जिज्ञासाओं का निराकरण करने के आदेश दिए हैं।
ग्रामीण इलाकों में परेशानी
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के पास महंगे फोन व कम्प्यूटर नहीं होने से ऑनलाइन पढ़ाई का पैटर्न उनके लिए काम का नहीं है। वहीं ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट व बिजली की समस्या भी बाधक है। इसके अलावा शिक्षकों का अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करना भी टेड़ी खीर है। घर पर अधिकतर बच्चे भी पढ़ाई में रुचि नहीं दिखाते। ग्रामीण इलाकों व पिछड़े वर्ग में परिजन भी असाक्षर या ऑनलाइन पढ़ाई के पैटर्न लायक नहीं हैं।
शिक्षा विभाग ने स्वाध्याय के लिए ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध कराया है। इसको शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों तक पहुंचाकर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में कई समस्याएं तो तो हैं, फिर भी कोशिश है कि अधिकतम विद्यार्थी इसका लाभ लें।
घनश्याम मीना, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक दौसा