जिला अस्पताल में दो सोनोग्राफी मशीनें हैं।एक मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र में तो दूसरी जिला अस्पताल के मुख्य भवन में लगी है। गत एक वर्ष से जिला अस्पताल के मुख्य भवन में लगाई गई सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। शिशु कल्याण केन्द्र में संचालित सोनोग्राफी मशीन पर गर्भवती एवं अन्य बीमारियों के लिए आने वाली महिलाओं की सोनोग्राफी होती है, जबकि पेट सम्बन्धी अन्य सामान्य बीमारी के मरीजों की सोनोग्राफी मुख्य भवन में संचालित सोनाग्राफी मशीन पर होती है। पिछले एक वर्ष से मुख्य भवन में संचालित सोनोग्राफी मशीन बंद है। ऐसे में मजबूरीवश मरीजों को प्राइवेट सोनोग्राफी मशीन संचालकों के यहां जाना पड़ता है। अस्पताल में संचालित सोनोग्राफी मशीन पर नि:शुल्क जांच की जगह बाजार में मरीजों को सात सौ रुपए जेब से खर्च कर चुकाने पड़ते हैं।
जिला अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन खराब होने से मरीजों को बाहर की मशीनों पर जांच करानी पड़ रही है। अब आमजन सवाल उठाने लग गया है कि इतने दिनों से मशीन खराब है, कहीं चिकित्सा प्रशासन ने बाहर संचालित सोनोग्राफी मशीन संचालकों से मिलीभगत तो नहीं कर रखी है। यदि मिलीभगत नहीं हो तो इतने दिनों बाद भी नई मशीन क्यों नहीं लग पाई। जिला अस्पताल में अपने परिजन का इलाज कराने गए कैलाश गोठवाल ने बताया कि वे अपने मामा का इलाज कराने गए तो चिकित्सक ने पेट की सोनोग्राफी लिख दी। अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए चक्कर काट लिए, लेकिन नहीं हो पाई। ऐसा प्रतिदिन दर्जनों मरीजों के साथ हो रहा है।
जिला अस्पताल में एक्स-रे की दो मशीनें हैं।इनमें से एक मशीन तो ठीक है, लेकिन उस पर साधारण एक्स-रे होते हैं, डिजिटल यानि रंगीन एक्स-रे नहीं होने से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को जिला अस्पताल के बाहर निजी लैब पर एक्स-रे बनवाने पड़ रहे हैं। इधर, पीएमओ डॉ. सीएल मीना ने बताया कि खराब मशीनों को शीघ्र ही फिर से संचालित कराने के लिए प्रयासरत हैं।