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दौसा

गांव की सरकार दीपावली पर भी नहीं कर पा रही उजियारा…

The village government is unable to do even on Diwali … -सवा दो करोड़ रुपए खर्च, फिर भी शाम होते ही छा जाता है अंधेरा, अधिकांश ग्राम पंचायतों में खराब पड़ी हैं सोलर लाइट

दौसाOct 21, 2019 / 10:54 am

Rajendra Jain

गांव की सरकार दीपावली पर भी नहीं कर पा रही उजियारा...

बांदीकुई उपखण्ड क्षेत्र में पंचायतों की ओर से लगाई गई सोलर लाइट। जो कि मरम्मत के अभाव में खराब पड़ी हैं।

बांदीकुई. सरकार की ओर से गांव-ढाणियों को रोशनी से जगमग करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट सौर ऊर्जा लाइट लगाने के नाम पर खर्च तो कर दिया, लेकिन इनकी मरम्मत नहीं होने से अधिकांश लाइट खराब पड़ी हैं। ऐसे में शाम होते ही गांव रोशनी से जगमगा उठने का ग्रामीणों का सपना अधूरा ही रह गया।
The village government is unable to do even on Diwali…. ये सौर ऊर्जा लाइट ग्राम पंचायतों की शोभा बढ़ा रही हैं। जबकि पंचायतों के खातों में लाखों रुपए जमा होने पर भी दीपावली का त्यौहार नजदीक होने पर भी आंखें मूंदकर बैठी हुई है। जानकारी के अनुसार राज्य वित्त आयोग, निर्बंध एवं अन्य विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2011-12 से वर्ष 2014-15 तक उपखण्ड क्षेत्र की 30 ग्राम पंचायतों में सवा दो करोड़ रुपए से अधिक की सोलर लाइट गांव-ढाणियों में लगाई गई। एक सोलर लाइट पर करीब 21 हजार 800 खर्च हुए थे। बसवा तहसील क्षेत्र में लगाई गई एक हजार से अधिक सोलर लाइट पर करीब सवा दो करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च हुई थी। इसमें से भी बसवा कस्बे में सौ से अधिक सौलर लाइटे लगाई गई। इन सोलर लाइट की दो वर्ष तक सार-संभाल व मरम्मत की जिम्मेदारी सम्बंधित फर्म की थी, लेकिन फर्मो ने भी भुगतान लेने के बाद मरम्मत के नाम पर मुंह फेर लिया। यही हाल दौसा, लवाण, लालसोट, महुवा एवं सिकराय तहसील क्षेत्र का है। सूत्रों के मुताबिक दौसा जिले में करीब पांच करोड़ रुपए से अधिक राशि सोलर लाइट लगाने के नाम पर खर्च हो चुकी, लेकिन गांव की सरकार अनदेखी से उजियारा नहीं हो पा रहा है। यदि विभागीय स्तर पर इन सोलर लाइटों की जांच कराई जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी।
The village government is unable to do even on Diwali…. बजट पर कुण्डली जमाए बैठी हैं पंचायतें
भले ही सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिए जाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, लेकिन ग्राम पंचायत सौर ऊर्जा (सोलर लाइट) लाइट की मरम्मत कराए जाने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। जबकि अधिकांश ग्राम पंचायतों के खातों में 8 से 50 लाख रुपए तक की राशि जमा है, लेकिन गांव की सरकार इस बजट पर कुण्डली जमाए बैठी हुई है। इससे ग्राम पंचायत मुख्यालय एवं गांव-ढाणियों को जाने वाले प्रमुख मार्गो पर शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। इससे ग्रामीणों ने पंचायत प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है।
शाम होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है। रास्ते ऊबड़-खाबड़ होने से लोगों के ठोकर खाकर चोटिल होने का तक अंदेशा बना रहता है।
The village government is unable to do even on Diwali…. सामान ही हो चुका है गायब
जिन ग्राम पंचायतों में सौलर लाइट लगाई गई हैं। उनमें से कुछ के पैनल चोरी हो चुके हैं तो कुछ की प्लेट व लाइट ही मौके से सार-संभाल के अभाव में गायब हो चुकी हैं। ग्राम पंचायत गुल्लाना ,बसवा, ऐंचेड़ी व दिलावरपुरा में तों कई लाइटों की प्लेट एवं सामान पार तक हो चुका है। यहीं हाल गुल्लाना, ऐंचेड़ी, मुही, बडियाल खुर्द, बिवाई, कौलाना सहित अन्य पंचायतों का भी है, लेकिन पंचायत प्रशासन लगवाने के बाद सौलर लाइटों को भूल ही गया।
पंचायतों के खाते में आती है राशि
The village government is unable to do even on Diwali…. पहले पंचायत समिति की ओर से ग्राम पंचायतों का बजट आवंटित किया जाता था। अब राशि सीधे पंचायतों के खाते ंमें आती है। खराब पड़ी लाइटों की ग्राम पंचायत स्वयं के स्तर पर अपने कोष में जमा राशि व निजी आय से मरम्मत करा सकती है। यदि सौलर लाइटें खराब हैं तो ग्राम विकास अधिकारियों से बात कर मरम्मत कराने का प्रयास किया जाएगा।- मोहनसिंह फौजदार, विकास अधिकारी बांदीकुई
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