कहने को तो गार्डन में देखभाल के लिए एक कर्मचारी नियुक्त कर रखा है, लेकिन वह कर्मचारी भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराने की बात कहकर हाजिरी के बाद चले जाता है। प्रतिवर्ष मानसून के दौरान प्रत्येक सरकारी विभाग द्वारा पौधारोपण अभियान चलाया जाता है, लेकिन यहां एक बार भी पालिका प्रशासन को पौधारोपण की याद नही आई है। यहां लगा फव्वारा भी कई सालों से बंद ही पड़ा है।इससे यहां की सुंदरता भी नष्ट होने लगी है।
वृद्धजन करते हैं पौधों की सार-संभाल
पालिका की अनदेखी के चलते गार्डन में नियमित रूप से घूमने के लिए आने वाले कुछ वरिष्ठ जनों ने पेड़ पौधों की सार संभाल करना शुरू कर दिया है। ताराचंद बैनाड़ा, लाला सोनी, महेश सोनी, रामेश्वर गुप्ता, गोपालकृष्ण शर्मा, मनोहरलाल शर्मा समेत कई वरिष्ठ जनों ने पिछले साल मानसून के दौरान यहां कई पौधे लगाए थे।जिनका वे नियमित रूप से सार संभाल करते है। घूमने के बाद ये लोग प्रतिदिन इन पेड़ों के गमलों को दुरुस्त करने एवं उनमेें पानी डालकर ही अपने घर जाते हैैं।
समाजकंटकों का बना अड्डा दिनभर इस गार्डन में समाजकंटकों व नशेडिय़ों का जमावड़ा बना रहता है।इसके चलते कोई सभ्य महिला-पुरुष यहा चंद पल कर रुकने में भी गुरेज करते हंै। इसके अलावा रात्रि हाल और भी बुरा हो जाता है। रात्रि के दौरान यहां कोई भी घूमने नहीं आता है।
ट्रेक पर बिछाई पेयजल लाइन:करीब छह माह पूर्व जलदाय विभाग ने पालिका प्रशासन की अनुमति के बिना ही गार्डन में घूमने के लिए बनाए गए ट्रेक को एक दो जगह तोड़ दिया और एक जगह पर तो ट्रेक पर पेयजल की पाइप लाइन ही बिछा दी।इससे यहां घूमने आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गार्डन में लगे झूले भी टूट गए हैं, वहीं अब तो फिसलपट्टी भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। इसके चलते बालक मायूस लौट जाते हैं। (नि.प्र.)
लोगों की जुबानी नेहरु गार्डन की कहानी अधिवक्ता हरिनारायण माठा का कहना है कि गार्डन की नियमित सार संभाल नहीं होने से यहां घूमने के लिए आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।ट्रेक पर पेयजल की लाइन बिछाने से कई जने अंधेरे में ठोकर खाकर गिर भी चुके हैं। यहां शीघ्र ही रैम्प का निर्माण नही किया तो कोई वरिष्ठजन चोटिल भी हो सकता है।
सेवानिवृत्त शिक्षाविद् सुखदेव चतुर्वेदी ने बताया कि वे पिछले 20 सालों से यहा नियमित घूमने आ रहे है। अब यहां समस्याओं का अम्बार लगा है। सफाई के बाद कई दिनों तक कचरा नहीं उठाया जाता है। बाद में कचरे के ढेर में आग लगा देने से कई बार पेड़ पौधे जल भी जाते है।
सेवानिवृत शिक्षक गोपालकृष्ण शर्मा गार्डन की नियमित देखभाल व साफ सफाई के लिए नगर पालिका यहां पर्याप्त कर्मचारी नियुक्त करें। पालिका की ओर एक बार भी पौधारोपण व उसके संरक्षण का प्रयास नही किया गया है। गार्डन में लगा फव्वारा भी मात्र शोपीस बन कर रह गया है।
सर्राफा व्यवसायी महेश सोनी नेहरु गार्डन के मात्र एक ही हिस्से में हरियाली दोब बची है। बाकी सभी हिस्सों में दोब पूरी तरह नष्ट हो गई। एक हिस्से में बची दोब को भी कुछ माह पूर्व पेयजल लाइन डालने के लिए गड्ढा खोद कर खराब किया गया था। अब भी गड्ढा खुला पड़ा है।इससे अंधेरे में कई बार गिरने की आंशका बनी रहती है।