जलदाय विभाग की ओर से शहर में करीब 38 एकलबिंदु नलकूप लगाए हुए हैं। एक नलकूप पर करीब डेढ़ से दो लाख रुपए के बीच खर्चा आया है, लेकिन इन नलकूपों पर अभी तक कनेक्शन नहीं हुए हैं। ऐसे में अधिकांश नलकूप बिजली के अभाव में बंद पड़े हैं। इन नलकूपों पर खर्च होने वाली बिजली के बिल को जमा कराने की कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है। जलदाय विभाग व पालिका प्रशासन एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ रहे हैं। इससे खर्च किए रुपयों का आमजन को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जलदाय विभाग का कहना है कि जहां नलकूप लगे हैं, वहां एक समिति गठित कर बिल जमा कराने की जिम्मेदारी ले या फिर पालिका प्रशासन। इसके बाद ही बिजली कनेक्शन संभव है।
पानी का उत्पादन कम होने कुछ पानी सप्लाई प्रभावित है, लेकिन सप्लाई सुचारू बनाए रखने के लिए नलकूपों का निर्माण कराया गया है। इन पर बिजली कनेक्शन होने पर पानी उत्पादन बढऩे पर सप्लाई में सुधार हो सकेगा। वैसे भी पानी सप्लाई की प्रभावी मॉनीटरिंग की जा रही है।
राजेश शर्मा, सहायक अभियंता जलदाय विभाग बांदीकुई
प्राथमिक विद्यालय में पेयजल संकट
लवाण. कस्बे में अभी सरकारी विद्यालयों का ढांचा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। स्टेट हाइवें पर दौसा बस स्टैण्ड पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के छोटे बालकों को भोजन तो मिल रहा है लेकिन भोजन करने के बाद बर्तन को साफ करने के लिए स्टेट हाइवे पर जाना पड़ता है। इससे कभी हादसा भी हो सकता है।
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में हैण्डपम्प तो लगा है, लेकिन वह कई सालों से खराब पड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि छोटे बालक अपनी थाली को लेकर सड़क पर भी घूमते रहते हैं। हैण्डपम्प के पास गंदगी व जंगली पेड़ भी उग रहे हैं। ऐसे में जहरीले जन्तुओं के खाने का भी डर भी सताता रहता है। पास में ही बिजली के दो ट्रांसफॉर्मर भी लगे हैं।