दरअसल करीब एक दर्जन विधायकों द्वारा अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की वजह से प्रदेश सरकार के समाने फजीहत की स्थिति पैदा हो गई थी। बीते एक पखवाड़े से हालात काफी बदतर हो गए थे। भाजपा के कुछ विधायक जो मूलत: हरिद्वार सांसद डा.रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के गुट के हैं,लगातार मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर निशाना बना रहे हैं जिससे मुख्यमंत्री खुद भी काफी असहज महसूस कर रहे थे। अंतत: बुधवार को भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट को तलब किया। नई दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेताआें की मौजूदगी में हुई बैठक में फोन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की भी बात हुई है।
शाह ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भट्ट से साफ कहा कि भविष्य में सरकार के खिलाफ कहीं से भी कोई बेवजह की आवाज उठती है तो इसके लिए वे खुद ही जिम्मेवार होंगे। इसलिए वे भाजपा के किसी भी विधायकों को भडक़ाने की कोशिश नहीं करें। शाह ने कहा कि उनके पास सरकार और संगठन दोनों के ही फीड बैक है। सूत्रों ने बताया कि बीते मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तराखंड के संघ से जुड़े पदाधिकारियों से लंबी बात की है। माना जा रहा है कि शाह को संघ से सटीक जानकारी मिल गई है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के कुछ विधायक मुख्यमंत्री पर अधिकारियों के तबादले को लेकर पिछले एक माह से दबाव बनाए हुए थे। लेकिन जिन अधिकारियों की तबादले की मांग को लेकर विधायक अड़े हुए थे वे पूरी तरह से नियम के विरुद्ध थे। इसलिए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कह दिया था कि वे एेसा कोई कार्य नहीं होने देंगे जिससे सरकार की छवि खराब हो। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की छवि पूरे प्रदेश में बेदाग है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में एक अभियान चला रखा है। जिससे भाजपा के ही कुछ विधायक काफी परेशानी में हैं।