पर्यटकों के ठहरने के लिए कुमाऊं और गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाऊस इस सीजन में काफी लंबे समय से विरान पड़े हैं। इसके अलावा पर्यटन विभाग के अपने गेस्ट हाऊस भी जून 2018 से अब तक खाली ही हैं। सरकार के संरक्षण में चलाई जाने वाली होम स्टे योजना तो बुरी तरह से फ्लॉप हुई है। इसके अलावा पर्यटन विभाग की आेर से टिहरी, ऋषिकेश और हरिद्वार में आयोजित होने वाले पर्यटक मेलों को इस सीजन में बारिश की वजह से बंद करना पड़ा है। आयोजन बंद होने से पर्यटन विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। केन्द्र सरकार के दबाव में टिहरी झील महोत्सव का आयोजन कराया गया लेकिन पर्यटक ही नहीं आए। जिससे प्रदेश सरकार की काफी बदनामी हुई। इसके पीछे भी मूसलाधार बारिश को ही खास वजह माना जा रहा है। इसके अलावा केंद्रीय पर्यटन विभाग की दो और उत्तराखंड सरकार की भी दो महत्वपूर्ण योजनाएं जुलाई में ही शुरू की जानी थीं लेकिन शुरू नहीं हो पाई हैं।
सूत्रों के मुताबिक अब सभी महत्वपूर्ण योजनाएं दिसंबर के बाद ही शुरू हो पाएंगी। क्योंकि केंद्र और राज्य की दोनों ही योजनाएं कुमाऊं मंडल में ही शुरू होनी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि सबसे ज्यादा बारिश कुमाऊं मंडल में ही हुई है। जिससे इन योजनाआें को बारिश बंद होने के तुरंत बाद शुरू करना संभव नहीं हो पाएगा। मई 2018 में पर्यटन विकास परिषद ने एक आवश्यक बैठक की थी जिसमें यह तय किया गया था कि पर्वतीय जनपदों में स्थित पर्यटक स्थलों को जल भराव से बचाने के लिए वहां पर कंक्रीट कराया जाए। ताकि बरसात में भी पर्यटक आ सकें। इसके अलावा पर्यटक गृहों की भी मरम्मत करने की योजना थी। कहा तो यह भी गया था कि पर्यटक स्थलों को जोडऩे वाली सडक़ों की भी मरम्मत की जाएगी। खास— खास पर्यटक स्थलों को जोडऩे वाली 90 सडक़ों को दुरुस्त करने की बात भी थी लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया है। वरना कुछ न कुछ पर्यटक तो बरसात में भी उत्तराखंड पहुंचते।
पर्यटन विभाग भी मान रहा है कि मूसलाधार बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। बारिश खत्म होते ही पर्यटन विभाग बारिश से पर्यटन को हुए नुकसान का आकलन करेगा। इस बारे में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बारिश से तो निश्चित रूप से तबाही है। पर्यटन भी प्रभावित हुआ है। लेकिन आने वाले दिनों में पर्यटकों का तांता फिर से उत्तराखंड में शुरू हो जाएगा। इस दिशा में कार्य शुरू का दिया गया है।