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देहरादून

कभी यह था डायनासोर का भोजन, वैज्ञानिक बचाने में जुटे

Dinosaur: वैज्ञानिक एक ऐसे पेड़ की प्रजाति को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रयास कर रहे हैं, जोकि करोड़ो साल पहले डायनासोर का भोजन हुआ करता था।

देहरादूनJul 31, 2019 / 09:38 pm

Yogendra Yogi

Bialova

Bialova

(देहरादून,हर्षित सिंह): वैज्ञानिक एक ऐसे पेड़ की प्रजाति को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि करोड़ो साल पहले डायनासोर का भोजन हुआ करता था। यहां हम किसी जीवाश्म की बात नहीं कर रहे, बल्कि एक ऐसे पेड़ की बात कर रहे हैं जो हरबिवोरस डायनासोर का आहार हुआ करता था। इस पौधे के संवर्धन के लिए दून के शोध संस्थान प्रयासरत हैं । इसके जीवाश्म लगभग 270 मिलीयन साल पुराने हैं।

आंधी और बफबारी को झेलने की क्षमता

दून के विभिन्न शोध संस्थानों एफआरआई, बॉटिनिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इस पौधे को शोध कार्यों के लिए संवर्धित व संरक्षित किया जा रहा है। विशेषज्ञों द्वारा माना जा रहा था कि यह पौधा पूर्ण रूप से लुप्त हो चुका है, लेकिन चीन में प्राकृतिक अवस्था में इसके दो संग्रह मिलने से पुष्टि हो सकी है कि अभी यह प्रकृति में पाया जाता है। इसके चलते दून में उगाए जा रहे पौधे , बाकी जगह जैसे बंगाल व अन्य जगह से बेहतर है। जानकारी के मुताबिक इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम जिंको बाइलोबा होता है। इसकी ऊंचाई 66 से 115 फीट होती है। गहरी जड़ें होने के कारण आंधी व अपनी बनावट के कारण बर्फबारी से भी बचा रहता है।

खाद्य व दवाओं में होगा उपयोग

बॉटिनिक्ल सर्वे ऑफ इंडिया वैज्ञानिक, डॉक्टर सुशील कुमार सिंह , बताते हैं जिंको बाइलोबा के एरा (समय) का कोई पेड़ वर्तमान में पृथ्वी पर मौजूद नहीं है, जिसके कारण इस पौधे को लिविंग फॉसिल कहा जाता है। दून में अनुकूलीय पर्यावरण परिस्थितियां होने के कारण इसमें अच्छी वृद्धि हुई है। डॉ सुशील बताते हैं कि समय काल एक होने के कारण यह माना जाता है कि यह डायनासोर का आहार था। इसके साथ ही पेड़ को खाद्य व दवाइयों दोनों के लिए विकसित किया जा रहा है। यही कारण है कि इसे बचाए जाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। इसके चलते आने वाले समय में यहां पर और पौधे लगाए जा सकते हैं।

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