इस मामले पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायामूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की। बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने 15 जून को उत्तराखंड हाईकोर्ट ( Uttarakhand High Court ) के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में चारधाम में अव्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत रूप से जिक्र किया।
न्यायाधीश के पत्र के अनुसार चारों धाम के तीर्थायात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों को रहने से लेकर गाडियों तक की सही व्यवस्था नहीं मिल पा रही, खच्चर , डांडी, समेत सभी आवश्यकताओं के लिए यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पत्र में उन्होंने लिखा है ऐसा लगता है कि चारधाम में आपदा का इंतजार किया जा रहा है।
न्यायाधीश केआर राम ने पत्र में लिखा है कि केदारनाथ ( kedarnath yatra ) में हेलीपैड के आसपास धूप और बारिश से बचने का कोई उपाय नहीं है। इन व्यवस्थाओं को राज्य सरकार की ओर से सुधारा जा सकता है। इस दौरान उनके दल ने फाटा से केदारनाथ व केदारनाथ से फाटा हेलीकॉप्टर की आवाजाही की। हेलीकॉप्टर के लिए उन्हें परिवार के साथ तीन घंटों तक इंतजार करना पड़ा। यहां आमजन के लिए कोई आराम कक्ष नहीं हैं। इसलिए पुलिस ( Uttarakhand police ) वालों ने उन्हें व उनकी पत्नी को अपने कक्ष में बैठने के लिए जगह दी। इतना ही नहीं यहां कोई मेडिकल सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। हाईकोर्ट ने इस पत्र को आधार मानते हुए याचिका दाखिल कर जिला पंचायत उत्तरकाशी को नोटिस जारी कर दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यमुनोत्री धाम ( yamunotri dham ) में सुरक्षा की तुरंत आवश्यकता है। चारधाम यात्रा के अनुभव को बयान करते हुए बॉम्बे न्यायाधीश ने कहा कि धाम यात्रा में मीलों तक पुलिस का कोई जवान नहीं रहता। इतना ही कोई आपात कालीन स्थिति या स्वास्थ्य समस्या होने पर किसी से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। यात्रा मार्ग पर बैठने के लिए कुर्सी, बैंच या कोई सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। उन्होंने खच्चर से और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने मिट्टी के कट्टों से बने रास्ते से यात्रा की। इस दौरान आराम करने के लिए कोई जगह तक उपलब्ध नहीं है।
बता दें कि जस्टिस केआर राम कुछ दिन पहले चारधाम यात्रा ( Chardham Yatra 2019 ) के लिए उत्तराखंड आए थे। इस दौरान यहां की अव्यवस्थाओं, दवाईयों की कमी, समेत कई अऩ्य परेशानियों का सामना करना पड़ा।इसके चलते उन्होंंने नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा।
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