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देहरादून

अब शिकारी खुद होंगे शिकार, इन खोजी निगाहों से…

जिम कार्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क को अब खोजी निगाहें मिल गई हैं। शिकारियों की निगाहें बेशक कितनी ही तेज क्यों न हो पर इन निगाहों से शिकारियों का बचना अब आसान नहीं रहेगा।

देहरादूनOct 12, 2019 / 05:23 pm

Yogendra Yogi

अब शिकारी खुद होंगे शिकार, इन खोजी निगाहों से...

अब शिकारी खुद होंगे शिकार, इन खोजी निगाहों से…

देहरादून ( हर्षित सिंह ): जिम कार्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क को अब खोजी निगाहें मिल गई हैं। शिकारियों की निगाहें बेशक कितनी ही तेज क्यों न हो पर इन निगाहों से शिकारियों का बचना अब आसान नहीं रहेगा।
दीवाली पर कार्बेंट नेशनल पार्क व राजाजी नेशनल पार्क में दुर्लभ प्रजाति के जानवरों की शिकारियों पर नजर रखने के लिए अब ड्रोन, ट्रैप कैमरे और खोजी कुत्तों का इस्तेमाल किया जाएगा। शिकारियों की घुसपैठ की आशंका को देखते हुए पार्क के आलाअधिकारियों द्वारा पार्क में सुरक्षा के यह कदम उठाए गए हैं।

ट्रैप कैमरों की नजर मे रहेंगे शिकारी
टाइगर रिजर्व पार्क में हर गतिविधि पर नजर बनाए रखने के लिए ट्रैप कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। जो कि पार्क में होने वाली हर गतिविधि के बारे में जानकारी दे सकेंगे। जिससे शिकारियों को समय रहते दुर्लभ प्रजाति के जीवों का शिकार करने से रोका जा सके। इसके अलावा पार्क में दुर्लभ जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पांच सौ से अधिक की तादाद में अधिकारियों व कर्मचारियों को तैनात किया गया है।

सीमाएं सील
जिम कार्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल ने बताया कि दीवाली के त्योहार पर शिकारियों की घुसपैठ की आशंका बनी रहती है। इसके चलते कार्बेट नेशनल पार्क की सीमाएं सील कर दी गईं हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से सटे संवेदनशील इलाकों में टाइगर की सुरक्षा के लिए स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स तैनात कर दी गई है। यह फोर्स कर्मचारियों के साथ मिलकर टाइगरों की सुरक्षा का ध्यान रखेगी।

सुरक्षाकर्मियों के अवकाश निरस्त
इसके साथ ही मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने बताया कि पार्क में शिकार किए जाने पर सख्ती से निपटा जाएगा। इस बारे में सभी पार्क के निदेशकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही दीवाली में शिकारियों के खतरे को देखते हुए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं।

तांत्रिक क्रियाओं के लिए होता है शिकार
गौरतलब है कि तांत्रिक क्रियाओं व तस्करी के लिए दिवाली में बड़ी संख्या में शिकार की आशंका बनी रहती है। त्योहार के दौरान शिकारियों को इनके अच्छे रुपए भी मिल जाते हैं। इस चलते पार्क के अधिकारियों के लिए शिकारियों को रोकना बड़ी चुनौती रहती है। गौरतलब है कि विगत चार वर्षों में करीब २० बाघों का शिकार हो चुका है। इसके अलावा शिकारियों के निशाने पर विगत वर्षों में पेंथर, पेंगोलिन और सेही जैसे वन्यजीव भी रहे हैं।

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