scriptउत्तराखंड: पहले आफत से मरे, फिर राहत से मरे, अभी भी नहीं चेते तो होगी लाखों मौंतें!… | Rain In Uttarakhand: Encroachment In Rispana River Danger For Dehradun | Patrika News
देहरादून

उत्तराखंड: पहले आफत से मरे, फिर राहत से मरे, अभी भी नहीं चेते तो होगी लाखों मौंतें!…

Rain In Uttarakhand: मौसम विभाग ने बारिश का अलर्ट ( Rain Forecast In Uttarakhand ) जारी किया है, तब भी रिस्पना ( Rispana River ) और बिंदाल ( Bindal River ) नदी से अतिक्रमण नहीं हटा है…

देहरादूनAug 22, 2019 / 06:17 pm

Prateek

Rain In Uttarakhand

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हर्षित सिंह,प्रतीक सैनी: देवभूमि उत्तराखंड में बादलों ने बीते दिनों जमकर कहर बरसाया। उत्तराकाशी में बादल फटने के बाद भयंकर तबाही मची। नदियों में उफान आ गया, लोग पानी के तेज बहाव में बह गए और कई घर मलबे के नीचे दब गए।

बारिश का अलर्ट

 

उत्तराखंड: पहले आफत से मरे, फिर राहत से मरे, अभी भी नहीं चेते तो होगी लाखों मौंतें!...

प्रदेश में मौसम विभाग ने 26 अगस्त तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हुआ है। मगर आपदा प्रबंधन को लेकर प्रशासन और सरकार के नाकाफी इंतजाम बड़ी तबाही को न्यौता दे रहे हैं। अगर बादलों ने रौद्र रूप धारण कर पहाड़ी इलाकों में बारिश कर दी तो देहरादून में भारी तबाही मच सकती है। इसक प्रमुख कारण है कि….


आसमानी आफत में मरे 15 लोग

 

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देहरादून पर किस तरह ख़तरे के बादल मंडरा रहे है यह बताने से पहले यह बता दें कि (18 अगस्त) रविवार को उत्तराकाशी में बादल फटा था। एनडीआरएफ को अब तक 15 लोगों के शव मिल चुके हैं, वहीं 6 लोग अभी भी लापता हैं। लगभग 40 लोग घायल हो गए और 35 गांवों पर बुरा प्रभाव पड़ा।

क्रैश हो गया हैलीकॉप्टर

उत्तराखंड: पहले आफत से मरे, फिर राहत से मरे, अभी भी नहीं चेते तो होगी लाखों मौंतें!...

उत्तराकाशी में राहत कार्य में लगा निजी कंपनी का हैलीकॉप्टर बुधवार ( 21 अगस्त ) को क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में कैप्टन लाल, कैप्टन शैलेश एवं ग्राम खरसाली निवासी राजपाल राणा की मृत्यु हो गई। यह हैलीकॉप्टर मोल्डी में राहत सामग्री उतारने के बाद मौरी की ओर जा रहा था तभी आराकोट के पास बिजली के तार में फंसकर यह पहाड़ से जा टकराया।


दी गई श्रद्धांजलि

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हैलीकॉप्टर क्रैश हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को आज श्रद्धांजलि दी गई।


अब आते है देहरादून, सरकार व प्रशासन की लापरवाही की ओर…

पहाड़ी इलाकों में बारिश होने के बाद रिस्पना-बिंदाल नदी का जल स्तर काफी बढ़ जाता है। दोनों ही नदियों के तटीय क्षेत्र में लोगों ने अतिक्रमण कर बस्तियां बसा ली है। इन्हें खाली करवाना सरकार और प्रशासन दोनों के लिए सरदर्द बन गया है। हालांकि ख़बर लिखे जाने तक मौसम साफ है पर पहाड़ी इलाकों में पहले की तरह बारिश हुई तो देहरादून भारी तबाही का गवाह बन जाएगा।

उत्तराखंड: पहले आफत से मरे, फिर राहत से मरे, अभी भी नहीं चेते तो होगी लाखों मौंतें!...
रिस्पना नदी के बहाव क्षेत्र व उसके तट पर अतिक्रमण IMAGE CREDIT:

नगर निगम के अनुसार, रिस्पना व बिंदाल के तटीय इलाकों में 129 बस्तियां हैं। इनमें करीब दो लाख की आबादी रहती है। इतना ही नहीं ज्यादातर लोग बहाव क्षेत्र में रहते हैं या फिर बिल्कुल तट पर रहते हैं। बाकी तो छोड़ो सरकारी निदेशालय व रायपुर थाना तक बहाव इलाके में बना दिया गया। फिर क्या था टैक्सी स्टैंड भी बन गया और बीच में सिवरेज लाइन तक बिछा दी गई और ऊर्जा निगम ने बिजली के पोल खड़े कर दिए। इसके चलते बरसात में यहां पर मलबा अटकने से बाढ़ की समस्या आती है। यहीं हाल बिंदाल नदी का है।


लोग हटने को तैयार नहीं

उत्तरकाशी में अलकनंदा और भगीरथी के रौद्र रूप दिखाने के बाद प्रशासन की चेतावनी के बावजूद रिस्पना, बिंदाल नदी व इसके तटीय इलाकों की अवैध बस्तियों में रहने वाले लोग हटने को तैयार ही नहीं हुए।


कोर्ट के फैसले की हो रही अवहेलना

गत वर्ष हाईकोर्ट के एक आदेश में कहा गया है कि नदी-नालों, तालाब आदि की भूमि पर बसावट नहीं की जा सकती और भूमि को आवंटित भी नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने ऐसे किसी भी आवंटन को निरस्त करने का आदेश दिया था।


गौरतलब है कि वोट बैंक के चलते न ही कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मामले में कोई सख्त कदम लिया न ही त्रिवेंद्र सरकार ने। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना के पुनर्जीवन को ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया है। देखना यह है कि सरकार वोट बैंक को किनारे रख, हाईकोर्ट के आदेश की पालना कर रिस्पना-बिंदाल को संवारने का काम करती है या नहीं।

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