सूत्रों के मुताबिक पंचायतीराज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को ग्राम पंचायतों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी है। ताकि पोलिंग बूथ और मतदान कर्मियों की संख्या का निर्धारण करने में सुविधा हो सके। कुछ ग्राम पंचायतों में मतदाता सूची को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस तरह की त्रुटियों को दुरुस्त करने के लिए जिलाधिकारियों से कहा गया है। माना जा रहा है कि जून के अंत तक यह कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन पंचायत चुनाव की तैयारियों में कम से कम दो माह का समय लग जाएगा। इस लिहाज से आगामी सितंबर माह में ही पंचायत चुनाव होने की ज्यादा संभावना है। इस बीच सरकार ने 14वें वित्त आयोग की संस्तुति पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए 254 करोड़ 15 लाख 50 हजार की धनराशि पंचायतों के लिए जारी कर दी है। ताकि जलापूर्ति, जल निकासी, फुटपाथों की मरम्मत और स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त किया जा सके।
पंचायतीराज के मुताबिक आगामी एक पखवाड़े के अंदर जरूरी टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। ताकि सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे कार्य जो अब तक पटरी पर नहीं आ पाएं हैं उनको तत्काल प्रभाव से पूरा किया जा सके। सरकार की पहली प्राथमिकता सीवेज के बाद पेय जल व्यवस्था को दुरुस्त करना है। इसको लेकर प्लान भी बनाया जा चुका है। जिस पर अकेले 100 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च होने की उम्मीद है। यहां बताना जरूरी है कि हरिद्वार कोछोडक़र शेष सभी जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल आगामी जुलाई माह में खत्म हो रहा है।
इस बारे में पंचायतीराज के वरिष्ठ अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह का कहना है कि सरकार पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है। राज्य निर्वाचन जब भी तिथि का एलान करेगा ,प्रदेश की13 में से 12 जनपदों में चुनाव कराए जाएंगे। कम से कम दो माह पंचायत चुनाव की तैयारियों में लगने की संभवाना है।