बारिश के चलते कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक के लोगों को गर्मी से राहत मिली है। वहीं राज्य मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि १५ और १६ मई को राजधानी समेत प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश हो सकती है। इसके साथ ही दून समेत राज्य के अन्य इलाकों में तेज हवाएं चलने की आशंका है। दून, मसूरी, हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल से लेकर रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी समेत राज्य के अन्य इलाकों में बारिश के चलते राहत मिली है। इसके साथ ही तापमान में गिरावट देखने को भी मिली है। इन सभी इलाकों में बादल छाए हुए हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर बूंदा बांदी भी हुई।
चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ व बद्रीनाथ का मौसम भी तीर्थयात्रियों से लेकर प्रशासन की परिक्षा ले रहा है। केदारनाथ में हिमपात व बारिश का दौर जारी है। हांलाकि श्रद्धालुओं की श्रद्धा मौसम पर भारी पड़ रही है। तापमान दो डिग्री तक गिर जाने पर भी लोग बिना गर्म कपड़ों व चप्पल जूतों के पैदल मार्ग पर यात्रा करते देखे गए। प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रियों को गर्म कपड़े व अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं।
इसी प्रकार बद्रीनाथ में भी बारिश का दौर जारी होने पर तीर्थयात्रियों का आवागमन जारी है। बारिश के चलते लोगों को रुक रूक कर यात्रा करनी पड़ रही है। मौसम की मार पड़ने के बाद भी अब तक ४९ हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने भगवान केदार के दर्शन कर लिए वहीं केदार बाबा के दर्शन को ३२ हजार से अधिक लोग पहुंच चुके हैं।
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में मौसम सुहावना है। यहां पर बादल छाए हुए हैं और रूक-रूक कर बारिश हो रही है। इस सब के बावजूद तीर्थयात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यात्रा के पहले हफ्ते में तीर्थयात्रियों की संख्या का आंकड़ा आपदा के बाद ८२ हजार के पार पहुंच गया है। इस गति से यात्री आते रहे तो एक नया आयाम स्थापित होगा। मौसम में आए बदलाव व बारिश के चलते जंगलों में लगी आग की घटनाओं से भी फिलहाल राहत मिली है।
गौरतलब है कि गर्मी बढ़ने के कारण राज्य के जंगल आग की चपेट में आ रहे हैं। हांलाकि बारिश के चलते थोडी राहत मिली है। वन विभाग के आपदा एवं वनाग्नि प्रबंधन के आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं मंडल में अब तक ४५० जगहों से अधिक आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं यह आंकड़ा गढ़वाल में २४० के पार पहुंच चुका है। राज्य के वन्य जीव अभयारण्यों में आग लगने की लगभग ३६ घटनाएं हो चुकी हैं। वन पंचायत व सिविल सोयम में ऐसी १५५ घटनाएं हो चुकी हैं। इस तरह लगभग ८८१ घटनाएं हो चुकी हैं। इसके चलते लगभग ९९२ हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं। ऐसे में बारिश का आना वन कर्मियों व वन्य जीवों के लिए वरदान साबित हो रहा है।