देवरिया शेल्टर होम कांड में अबतक की बड़ी कार्रवार्इः एसपी, सीओ व बस्ती डीआईजी का ट्रांसफर, कोतवाल निलंबित
शेल्टर होम में महिलाओं/बच्चियों को भेजने वाले थानेदारों पर कार्रवाई के निर्देश
देवरिया शेल्टर होम कांड का खुलासा करने वाले एसपी पर गिरी गाज, डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध
देेवरिया कांड में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जांच में तेजी आने के साथ ही कार्रवाईयां शुरू हो गई हैं। शेल्टर होम संचालित करने वाली संस्था मां विन्ध्यवासिनी महिला एवं प्रशिक्षण संस्था की मान्यता समाप्त होने के बाद मना किए जाने पर भी जिन पुलिस थानों से बच्चियां यहां लाई गई हैं उन पर कार्रवाई के लिए शासन ने डीजीपी को 15 दिन का समय दिया है। जबकि बधवार को कई पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
बीते दिनों शासन ने देवरिया कांड में एसआईटी व सीबीआई जांच के अलावा पुलिस की भूमिका की जांच के लिए एडीजी गोरखपुर को निर्देशित किया था। एडीजी ने जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी। 11 अगस्त को एडीजी की रिपोर्ट डीजीपी को मिलने के बाद उन्होंने कार्रवाईयों संबंधी अपनी संस्तुतियों की एक रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज दिया। शासन की सहमति के बाद रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी ने कार्रवाई की है।
बुधवार को इस प्रकरण में एसपी देवरिया रोहन पी.कनय को डीजीपी मुख्यालय संबद्ध कर दिया गया। संस्था के प्रति काफी उदारता दिखाने वाले तत्कालीन एसपी राकेशशंकर जो वर्तमान में बस्ती के डीआईजी हैं उनका भी ट्रांसफर इसी प्रकरण में कर दिया गया है। राकेश शंकर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। देवरिया के सीओ सदर दयाराम सिंह गौर को इस प्रकरण की अनदेखी और कार्रवाई करने में शिथिलता बरतने के आरोप में स्थानांतरित कर दिया गया है। इनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है। इसके अलावा सदर कोतवाल को निलंबित कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 31 जुलाई को जिला प्रोबेशन अधिकारी ने शेल्टर होम के खिलाफ केस दर्ज कराया था लेकिन कोतवाल ने कार्रवाई नहीं की। शासन ने डीजीपी को उन थाना प्रभारियों को भी चिंहित करने और कार्रवाई का निर्देश दिया है जिन्होंने देवरिया डीएम की मनाही के बावजूद आश्रय गृह में बालिकाओं/महिलाओं को भेजा।
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