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देवरिया

यूपी में कुपोषण से दो बच्चों की मौत ! अब पिता ने ये बयान देकर सबको चौंका दिया

मीडिया में आई कुपोषण से दो बच्चों की मौत मामले में अब पिता नेे दिया दूूूसरा बयान।

देवरियाNov 13, 2017 / 07:21 pm

रफतउद्दीन फरीद

Hunger

भूखा

देवरिया. जिले के लार कस्बे में एक गरीब मजदूर के दो बच्चे कुपोषण व बीमारी से दो घंटे के अंदर मर गए। गरीब मजदूर अपने बच्चों की जान बचाने के लिए 24 दिन तक लार से देवरिया और गोरखपुर सीएचसी, जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज तक दौड़ लगाता रहा। अस्पताल उसे एक जगह से दूसरे जगह रेफर करते रहे। एक समय तो उसके सामने ऐसी स्थिति आ गई कि मरी बेटी का शव घर छोड़ बेटे की जान बचाने के लिए वह भागते हुए लार रोड रेलवे स्टेशन पहुंचा ताकि ट्रेन से बीएचयू जा सके लेकिन जब वह टिकट ले रहा था तभी बेटे की सांस हमेशा के लिए बंद हो गई। पशुपति राजभर के दो बच्चों की मौत से सरकार के पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है। बच्चों की मौत के बाद प्रशासन द्वारा उसके घर 50-50 किलो गेहूं और चावल पहुंचाया गया। घटना नौ नवम्बर की है। पशुपति अपने दोनों बच्चों को दफना चुका है। अब उसके घर अफसरों, पत्रकारों और नेताओं का आना-जाना लगा है। जैसा कि हर बार होता है उसी तरह सरकारी महकमे द्वारा इस बार भी कुपोषण से हुए बच्चों की मौत से इनकार किया जा चुका है।

Malnutrition death Pashupatinath
दोनों बच्चों के पिता पशुपतिनाथ IMAGE CREDIT: Patrika
 

पशुपति ने पत्रिका को बताया कि वह कस्बे के गयाधीर वार्ड का रहने वाला है। कहा कि, “मैं मजदूरी करता हूं। आठ वर्ष पहले मेरी शादी हुई। शादी के एक वर्ष बाद बेटी उसके दो वर्ष बाद बेटे का जन्म हुआ। बाद में दोनों बच्चों को छोड़ पत्नी कहीं चली गयी, उसका पता नहीं चला। दोनों बच्चें का एडमिशन प्राईमरी स्कूल में करा दिया। लार बाज़ार की मंडी में ट्रक, पिकप से बोरे उतारने और लादने का काम करता हूँ। एक बोरे की ढुलाई के तीन से चार रूपए मिलते थे। काम हर रोज नहीं मिलता। अक्टूबर महीने में दोनों बच्चे बीमार पड़े। उन्हें बुखार हुआ। मैं उन्हें 16 अक्टूबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लार ले गया जहां उन्हें पीलिया बताया गया और इलाज के लिए देवरिया जिला अस्पताल ले जाने की सलाह देते हुए दवाइयां दी गईं।

Malnutrition death
पशुपतिनाथ का घर IMAGE CREDIT: Patrika
 

दवाइयों से उन्हें आराम नहीं मिला तो फिर देवरिया जिला अस्पताल गया। वहां उन्हें भर्ती नहीं किया गया और बीआरडी मेडिकल कालेज ले जाने को कहा गया। मेरे पास पैसा नहीं था। कर्ज लेकर उन्हें मैं वहां ले गया लेकिन सुबह डॉक्टरों ने कहा कि बच्चों की हालत खराब है। उन्हें घर ले जाओ, शाम तक मर जायेंगे। हमने उनसे एम्बुलेंस दिलाने को कहा लेकिन सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिली। तब भाड़े के एम्बुलेंस लेकर बच्चों को घर आया। मेडिकल कालेज से मुझे कोई कागज नहीं मिला। घर आने के बाद दोनों की हालत और खराब हो गई। बच्चे बेहोशी की स्थिति में थे। मैं स्वास्थ्य केन्द्र लार ले गया। वहां के डॉक्टर ने पीजीआई ले जाने को कहा।
मेरी स्थिति नहीं थी कि पीजीआई ले जा सकूं। देवरिया जिला अस्प्ताल ले गया लेकिन तब तक बेटी मर गयी । बेटी का शव और बीमार बेटे को लेकर घर आया। बेटी का शव घर में रख दिया और भाइयों से उसका अंतिम संस्कार करने को कह कर आटो से बेटे अजय को लेकर लार रोड स्टेशन पहुंचा। साथ में बहन और चाचा-चाची भी थे। हम अजय को बनारस ले जाना चाहते थे। पर अजय की भी सांस वहीं टूट गई। दो घंटे में दोनों बच्चे मर चुके थे। रोते-बिलखते बेटे का शव लेकर घर आया और उसी रात दोनों बच्चों को दफना दिया। एक प्रश्न पर उसने कहा कि मेरे पास राशन कार्ड तक नहीं है। बच्चों की मौत के बाद पत्रकार आए थे। रविवार को दो अधिकारी भी आए।
बच्चों को पीलिया था: डॉ. बीबी सिंह
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, लार के प्रभारी डॉ. बीबी सिंह ने बताया कि अजय और खुश्बू को उसके पिता लाए थे, जांच में पीलिया पाया गया था। पशुपति को देवरिया जिला अस्पताल जाने की सलाह दी गई थी लेकिन वह शायद नही गया और फिर बच्चों के मरने की बात सुनाई दी। मैंने किसी भी अखबार और मीडिया से नहीं कहा कि कुपोषण के वजह से दोंनो बच्चों की मौत हुई। बच्चों की मौत का कारण कुपोषण नहीं, पीलिया था।
by SURYA PRAKASH RAI

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