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यूपी सरकार की सबसे बड़ी कार्रवाई, सवा सौ पुलिसवालों पर कार्रवाई की तलवार, तैयार हुई लिस्ट

देवरिया आश्रय गृह कांड में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाईयां

देवरियाAug 20, 2018 / 03:53 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

Deoria Shelter Home

देवरिया शेल्टर होम

देवरिया आश्रय गृह कांड में उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद जिम्मेदारों पर शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस व प्रशासन के कई अधिकारियों पर गाज गिरने के बाद विभिन्न थानों में तैनात रहे एसओ/दरोगाओं पर भी कार्रवाई की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जिले में रहे व वर्तमान में तैनात करीब सवा सौ दरोगा/थानाध्यक्षों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
इन पुलिसवालों पर आरोप है कि मां विन्ध्यवासिनी महिला एवं प्रशिक्षण संस्था की मान्यता खत्म होने के बाद भी इस संस्था द्वारा संचालित शेल्टर होम में बच्चियों व महिलाओं को भेजते रहे। जबकि डीएम व तत्कालीन एसपी ने बच्चियों/महिलाओं को भेजने की मनाही करते हुए इस बाबत पत्र भी जारी कर दिया था।
शेल्टर होम कांड में प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति के साथ ही एसआईटी का गठन किया था। जबकि एडीजी गोरखपुर दावा शेरपा को पुलिस की भूमिका की जांच के लिए निर्देश दिया था। शासन के निर्देश पर दावा शेरपा ने करीब एक सप्ताह पहले ही जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी। एडीजी की जांच रिपोर्ट को पुलिस महानिदेशक कार्यालय से शासन को भेज दिया गया। रिपोर्ट मिलने के बाद शासन ने तत्काल प्रभाव से इस मामले का खुलासा करने वाले एसपी रोहन पी.कनय सहित सीओ देवरिया दयाराम, पूर्व में देवरिया में एसपी रहे निवर्तमान डीआईजी बस्ती राकेश शंकर को स्थानांतरित कर दिया। इसके अलावा कोतवाल सदर विजय सिंह गौर व चैकी प्रभारी रेलरोड जटाशंकर सिंह यादव को निलंबित कर दिया गया।
शासन ने डीजीपी को एक पखवारे में उन पुलिसवालों को चिंहित करने का आदेश दिया था जिन्होंने मान्यता समाप्त होने के बाद भी बच्चियों/महिलाओं को गिरजा देवी के शेल्टर होम में सुपुर्द किया या भेजा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार डीजीपी के आदेश के बाद करीब सवा सौ इंस्पेक्टर/सब-इंस्पेक्टर कार्रवाई की जद में हैं। इसमें केस विवेचक व थाना प्रभारी दोनों शामिल हैं।
यह है देवरिया शेल्टर होम कांड

बिहार के मुजफ्फरनगर के बाद यूपी के देवरिया में एक बालिकागृह में पुलिस ने एक बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा किया था। पुलिस कप्तान रोहन पी.कनय के अनुसार मान्यता रद होने के बाद बालिका गृह का संचालन हो रहा था। मां विंध्यवासिनी महिला शिक्षण प्रशिक्षण व समाज सेवा संस्थान द्वारा देवरिया में बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु सहित कई गतिविधियां संचालित की जा रही थी। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संस्था की मान्यता रद कर दी थी। इस संस्था से भाग कर बेतिया बिहार की रहने वाली एक बच्ची प्रताड़ना से तंग आकर किसी तरह भाग कर महिला थाने पहुंची। उसने अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई। महिला थाने से एसपी को जानकारी दी गई। एसपी ने तत्काल कार्रवाई को निर्देश दिया। देर रात में ही फोर्स के साथ बालिका गृह में छापेमारी हुई। इस छापेमारी में 24 बच्चियों व महिलाओं को मुक्त कराया गया। एसपी रोहित पी कनय ने बताया कि बच्चियों की उम्र 15 से 18 साल है। इन्होंने बातचीत में बताया कि इनसे गलत कृत्य कराया जा रहा है। रिकॉर्ड के अनुसार 18 बच्चियां गायब थीं। इस प्रकरण में इस गृह की अधिक्षिका कंचनलता, संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, मोहन किशोर त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। बच्चियों ने मीडिया में बताया था कि दीदी लोगों को लेने के लिए रात में कार आती थी। जब वह लोग वापस आती थी बहुत रोते हुए आती, पूछने पर कुछ नहीं कहती। बच्चियों ने बताया कि उनसे बहुत काम लिया जाता था, पोछा भी लगाया जाता था। नहीं करने पर मारा पीटा जाता था।
मामला सुर्खियों में आने के बाद सरकार ने दो अधिकारियों पर कार्रवाई कर लीपापोती शुरू कर दी। हालांकि, हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जांच में तेजी आई। बताया जा रहा है कि डीएम के पत्र भेजने के बाद 20 सितम्बर 2017 से 31 जुलाई 2018 के बीच पुलिस ने 166 बच्चियों/महिलाओं को संस्था संचालिका गिरिजा त्रिपाठी के शेल्टर होम में भेजे गए।

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