दशहरे पर जिन्हें पहनाना थे नए कपड़े वो कफन में हुए विदा, मां की चीत्कार से फट गया कलेजा
सोनकच्छ के पास खजरिया कंका में पांच बच्चों की डूबने से हुई थी मौतपिता का सहारा छिना, हर आंख रोई हर दिल पसीजाछाती, पीठ और पेट पर की मालिश लेकिन नहीं लौटी सांसें
दशहरे पर जिन्हें पहनाना थे नए कपड़े वो कफन में हुए विदा, मां की चीत्कार से फट गया कलेजा
देवास. हर आंख आंसुओं से भीगी हुई थी। हर गला रूंधा हुआ था। ओठों पर चीत्कारें थी और दिल पसीजे हुए थे। कुछ देर पहले आंखों के सामने खेलता बचपन अचानक खो गया। मां की कोख उजड़ गई। पिता का सहारा छिन गया। बहन की राखी टूटी और घर का चिराग बुझ गया। त्योहारों की खुशियां मातम में बदल गई। कलेजे के टुकड़े के शव को देख मूर्छित होता मां का आंचल पुकार रहा था अपने लाल को..। बहन की आंखें तलाश रही भाई को। दशहरे पर जिन्हें नए कपड़े पहनाने थे उन्हें कफन में विदा किया जा रहा था। रूदन और चीत्कारों के बीच छाई थी खामोशी और इस खामोशी में एक ही आवाज थी चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश..कहां तुम चले गए।
दिल को झकझोर देने वाली घटना के बाद का कुछ इस तरह का नजारा था सोनकच्छ थाना क्षेत्र के गांव खजूरिया कंका का। मंगलवार को पांच बच्चों के तालाब में डूबकर काल के गाल में समाने की घटना से पूरा गांव सिहर उठा। एक बारगी किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ देर तक जो बच्चे आंखों के सामने थे। लड़ते-झगड़ते, खेलते-कूदते जिनकी चपलता से घर में बचपन चहकता था वे अब सदा के लिए खामोश हो गए हैं। इतनी दूर चले गए जहां से कोई वापस नहीं आता। त्योहारों की खुशियां मातम में बदल गई। गांव में सन्नाटा पसर गया।
सभी दोस्त गए थे नहाने खजूरिया कंका गांव से करीब एक किमी दूर जंगल में स्थित जमीन की खुदाई ने तलैया का रूप ले लिया है। बारिश के चलते यहां लबालब पानी भरा है। गांव के सात दोस्तों ने दशहरे पर यहां नहाने का मन बनाया। सातों दोस्त हंसी-खुशी तलैया में नहाने गए। कुछ देर नहाने के बाद अरुण, पंकज, बालू, प्रवीण और गोविंद गहरे पानी में चले गए। दो बच्चे और भी थे जो बाहर आ गए थे। वे घटना देख गांव की ओर गए और गांव वालों को बताया। गांववाले घटनास्थल की ओर दौड़े। तलैया में कूदकर देखा। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी और जब तक बच्चों को तलैया से निकाला जाता तब उनकी सांसें थम चुकी थी।
बुझ गए घर के चिराग घटना के बाद गांव का नजारा इतना गमगीन था कि हर आंख भीगी हुई थी। मुद्दतों की मिन्नतों के बाद घर में बेटे का जन्म हुआ था वह भी काल के गाल में समा गया। एक घर ऐसा था जहां दो बेटे थे और दोनों ही हादसे का शिकार हो गए। घरों के चिराग बुझ गए। ग्रामीण कमल ने बताया कि बालू और प्रवीण सगे भाई थे। बालू बड़ा था। घर में दो बहने हैं। पंकज घर का इकलौता बेटा था। घर में एक बहन है। अरुण का एक भाई और है। गोविंद तीन बहनों का अकेला भाई था। घर की आॢथक स्थिति अच्छी नहीं है। थोड़ी बहुत जमीन है। जैसे-तैसे घर का परिवार का गुजारा होता है। बेटों से ही भविष्य की उम्मीदें थी लेकिन ये उम्मीदें भी काल कवलित हो गई। परिजनों को कभी न भरने वाला जख्म दे गई।
छाती, पीठ और पेट पर की मालिश लेकिन नहीं लौटी सांसें जिस तलैया में घटना हुई वह बारिश के कारण लबालब भरा हुआ है। आसपास खेत है। किनारों पर कीचड़ है। जब बच्चों के डूबने की जानकारी मिली तो ग्रामीण तलैया की ओर गए। आठ-दस व्यक्ति तलैया में उतरे और रेस्क्यू किया। महिलाएं भी किनारे खड़ी थीं। शव पानी के अंदर ही थे और ऊपर नहीं आ पाए थे इस कारण रेस्क्यू में खासी दिक्कत हुई। मशक्कत के बाद शव बाहर निकाले गए। बाहर बच्चों की छाती, पेट, पीठ आदि पर मालिश कर बचाने की कोशिश की गई लेकिन काफी देर हो चुकी थी।
एक ही चिता पर किया अंतिम संस्कार बच्चों की मौत की खबर मिलते ही परिजनों का बुरा हाल हो गया। महिलाएं बेसुध होकर बेहोश हो रही थी। पिता की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। गांववाले गमगीन थे और भीगी पलकों, रूंधे गले से परिजनों को ढांढस बंधा रहे थे। माहौल देख गांव में डॉक्टरों की टीम तैनात की गई ताकि सदमें किसी की तबीयत बिगडऩे पर तत्काल उपचार किया जा सके। पोस्टमार्टम के बाद शव को गांव लाया गया जहां से अंतिम यात्रा निकाली गई। एक ही चिता पर पांचों बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया।
उत्खनन से हुआ है गड्ढा बताया जा रहा है कि जिस जगह हादसा हुआ वह तालाब न होकर निजी जमीन है। अवैध उत्खनन की जानकारी मिल रही है। जमीन खोदने के कारण बारिश में यहां पानी भर गया और इसने तालाब का रूप ले लिया। मंत्री वर्मा ने एडीएम स्तर के अधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं। सोनकच्छ एसडीएम अंकिता जैन ने बताया कि हमारे पास भी यह जानकारी आई है कि तालाब न होकर खदान है। इसकी जांच की जाएगी। एडीएम स्तर के अधिकारी जांच करेंगे। यदि जांच में अवैध उत्खनन की बात सामने आती है तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।
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