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भुगतान न होने से उग्र हुए किसान…मंडी सचिव को कार्यालय में बंद कर बाहर से लगाया ताला…जमकर की नारेबाजी

–अन्नदाता हो रहा परेशान, आंखों में आ रहे आंसू लेकिन अफसर नहीं कर पा रहे सुनवाई, छोटे कर्मचारियों पर गिरी गाज, बड़े अधिकारी पर कार्रवाई नहीं

देवासMay 28, 2019 / 12:35 pm

Amit S mandloi

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देवास. कृषि उपज मंडी की व्यवस्थाएं नहीं सुधर पा रही है। किसानों से किए गए वादे के बावजूद मंडी प्रशासन उनको भुगतान नहीं करवा सका। एक माह से अधिक का समय हो गया लेकिन न तो व्यापारी पकड़ में आ सके न ही किसानों को भुगतान हो सका। मंडी अधिकारियों की मनमानी से किसान सोमवार को उग्र हो गए। मंडी में हंगामा किया। मंडी सचिव को उनके कार्यालय में बंद कर बाहर से ताला लगा दिया। मंडी गेट पर भी तालाबंदी की। नारेबाजी। मनमानी के चलते कुछ किसानों की आंखों में आंसू आ गए। मामले में मंडी प्रशासन और जिला प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है और बड़े अफसरों को बचाने का काम हो रहा है।
दरअसल कंचनश्री ट्रेडर्स के व्यापारी को जिन किसानों ने उपज बेची थी उनका भुगतान नहीं हो सका। व्यापारी भाग गया। किसान मंडी पहुंचे तो मंडी सचिव ने आश्वासन दिया था कि 27 मई को भुगतान कर देंगे। किसान मंडी सचिव की बातों में आ गए। इसी दौरान 27 मई सोमवार को जब किसान मंंडी सचिव से बात करने पहुंचे तो सचिव ने कुछ देर बाद का कहा। किसान वहीं रूके लेकिन भुगतान नहीं हो सका। परेशान किसान आक्रोशित हो गए। नारेबाजी की। उग्र रूप दिखाया और मंडी सचिव अश्विन सिन्हा को उनके ही कक्ष में बंद कर दिया। बाहर से ताला लगा दिया। मेन गेट पर भी तालाबंदी की। महिला कर्मचारियों को पीछे से गेट से बाहर निकाला। अफरातफरी मच गई। विवाद की स्थिति बनी। बाद में पुलिस पहुंची। तहसीलदार पहुंचे। आश्वासन दिया। इसके बाद गेट खुला। किसान मंडी सचिव पर नाराज थे और यदि पुलिस बीचबचाव नहीं करती तो बड़ा विवाद हो जाता। बाद में मंडी सचिव ने एसडीएम से लाउडस्पीकर पर बात की। किसानों को भी बात सुनवाई। यह तय किया कि २९ मई को किसानों का भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद किसान माने।
किसान की आंखों में आए आंसू

जिस समय हंगामा चल रहा था उस समय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष हफीज घोसी और भारतीय किसान संघ के जगदीश नागर सहित अन्य पदाधिकारी और किसान पहुंचे। देखते ही देखते किसानों की संख्या बढ़ती गई और हंगामा होने लगा। एक बुजुर्ग किसान के साढ़े चार लाख रुपए बकाया है। उसकी आंखों में आंसू आ गए। दूसरे किसान भी रूआंसे स्वरों में कहने लगे कि मंडी प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा हमको भुगतना पड़ रहा है। मेहनत करके फसल उगाई थी। उपज बेची थी कि पैसे मिल जाएंगे तो उधार चुकाकर घर चलाएंगे लेकिन मंडी अधिकारियों की मिलीभगत से एक के बाद एक व्यापारी भागते गए और किसानों का पैसा अटक गया। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनका भुगतान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन करेंगे।
सोमवार को हुआ नकद भुगतान

इधर नकद भुगतान की मांग को लेकर चल रहा किसानों का आक्रोश सोमवार को थमा हुआ नजर आया। मंडी में उपज बेचने आए किसानों को व्यापारियों ने नकद भुगतान किया। पूर्व में व्यापारी नकद भुगतान से इंकार कर रहे थे लेकिन एसडीएम के आदेश के बाद सोमवार से यह व्यवस्था लागू हो गई। हालांंकि कहा जा रहा है कि कुछ व्यापारी अभी भी नकद भुगतान के मूड़ में नहीं है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह मामला फिर से तूल पकड़ सकता है।
29 मई का बोला है

इस मामले में मंडी सचिव अश्विन सिन्हा ने बताया कि भुगतान के संबंध में किसान आए थे। सोमवार को भुगतान की व्यवस्था नहीं हो पाई तो किसान उग्र हो गए। किसानों से 29 मई का बोला है। कंचनश्री ट्रडर्स के करीब 58 किसान हैं, जिनको भुगतान करना है। सोमवार से नकद भुगतान व्यवस्था भी शुरू हो चुकी है।

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