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नर्क बना रखा है अस्पताल को..न संवेदना बची न मानवीयता

–जिला अस्पताल की बदहाली पर नाराज हुए मंत्री, डॉक्टरों को तल्ख लहजे में दी चेतावनी

देवासMar 02, 2019 / 11:10 am

हुसैन अली

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देवास. सरकारी लापरवाही के जख्म का दर्द झेल रही महिला को न्याय मिलने की उम्मीद जागी है। गुरुवार को जिला अस्पताल पहुंचे लोनिवि मंत्री सज्जन सिंह वर्मा से महिला के पति ने मुलाकात कर उन्हें मामले की जानकारी। इस पर मंत्री ने उचित सहयोग का भरोसा दिलाया।
अस्पताल की व्यवस्था पर मंत्री नाराज हुए और कहा कि जिला अस्पताल को नर्क बना रखा है। डॉक्टरों में संवेदना, मानवीयता नहीं बची। हर बार इंदौर रैफर कर दिया जाता है। वहां मौजूद स्टाफ को तल्ख लहजे में कहा कि इस केस में तत्काल कार्रवाई करो। बातों ही बातों में वर्मा चेतावनी भी दे गए कि हालात नहीं सुधरे तो दो-चार को सस्पेंड हो जाएंगे।
दरअसल मंत्री वर्मा जब गुरुवार को शासकीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे तो पीडि़त महिला गिरिजा कुमावत के पति विशाल कुमावत ने उनसे चर्चा की। विशाल ने मंत्री को बताया कि किस तरह सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से उसकी पत्नी की ङ्क्षजदगी बर्बाद हो गई। कमर के नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया। बताया कि दिल्ली के एक अस्पताल में इसका उपचार संभव है लेकिन रुपए नहीं है। मंत्री वर्मा ने सीएमएचओ डॉ. एसके सरल को बुलाया। मामले की जानकारी ली और कहा कि इसकी नोटशीट तत्काल तैयार करें। मौके पर मौजूद कलेक्टर डॉ. श्रीकांत पांडेय को बुलाया और कहा कि इस मामले में यथोचित कार्रवाई हो। शासन नियमानुसार सहयोग करेगा। पीडि़त को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
…तो दो-चार सस्पेंड हो जाएंगे

जिला अस्पताल की अव्यवस्था पर मंत्री वर्मा ने नाराजगी जताई और मौके पर मौजूद डॉक्टरों और कलेक्टर के सामने ही कहा कि इस अस्पताल को नर्क बना रखा है। जब देखो तब मरीज इंदौर रैफर कर दिए जाते हैं। डॉक्टर जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहे। यह स्थिति अच्छी नहीं है। अगर हालात नहीं सुधरे तो स्वास्थ्य मंत्री से बात करूंगा। दो चार सस्पेंड हो जाएंगे तब स्थिति सुधरेगी।
पत्रिका ने प्रकाशित किया समाचार

गौरतलब है कि गिरिजा पति विशाल कुमावत 16 नवंबर 2017 को जिला अस्पताल में भर्ती हुई थी। प्रसव के लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन की बात कही थी। गिरिजा के अनुसार एनेस्थेसिया का इंजेक्शन गलत लगा दिया जिस कारण उसकी हालत बिगड़ गई और कमर के नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया। एमवाय अस्पताल रैफर किया जहां प्रसूति हुई बच्चे का जन्म हुआ लेकिन बच्चे को सम्हालने वाली मां बिस्तर पर चली गई और तब से अब तक न्याय के लिए भटक रही है। जनसुनवाई में कई बार आवेदन दिया लेकिन अफसरों ने कुछ नहीं किया। दोषी डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले को पत्रिका ने २८ फरवरी के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसके बाद मंत्री ने इसका संज्ञान लिया।
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