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कलेक्टर ने लिखा पत्र- मंडी सचिव को किया जाए निलंबित

–भुगतान के लिए परेशान हो रहे हैं किसान, आश्वासन के सिवाय नहीं मिल पा रहा कुछ

देवासMay 29, 2019 / 11:03 am

Amit S mandloi

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देवास. कृषि उपज मंडी के मामले में मंडी प्रशासन की लापरवाही सामने आने के बाद अब कलेक्टर डॉ. श्रीकांत पांडेय ने कड़ा रूख अपनाया है। मंडी सचिव अश्विन सिन्हा के निलंबन के लिए मंडी बोर्ड प्रबंधक को पत्र लिखा है। पूरे मामले की जानकारी जुटाने, किसानों से चर्चा करने के बाद कलेक्टर डॉ. पांडेय ने यह कदम उठाया है। इधर सोमवार रात को व्यापारी दिलीप अग्रवाल के दो गोदाम प्रशासन द्वारा सील किए जाने के मामले में व्यापारी ने कलेक्टर से मुलाकात कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। कलेक्टर ने कहा कि गलत कार्रवाई नहीं होगी।
दरअसल दिसंबर 2018 से पहले तक कृषि उपज मंडी की व्यवस्थाएं ठीक थी। सब काम व्यवस्थित ढंग से चल रहा था लेकिन दिसंबर में के बाद से व्यवस्थाएं बिगड़ गई । सबसे पहले विद्या ट्रेडर्स फर्म का व्यापारी किसानों की उपज खरीदकर भुगतान किए बिना भाग गया। किसानों ने धैर्य रखा, लेकिन जब मंडी प्रशासन कुछ नहीं कर सका तो आंदोलन पर आमादा हुए। एसडीएम को हस्तक्षेप करना पड़ा। मंडी समिति ने किसानों को भुगतान का आश्वासन दिया। खुद के चेक दिए, तब जाकर वे माने। मामला थमा ही था कि सोमेश्वर टे्रडर्स का व्यापारी करीब ९० लाख रुपए का भुगतान किए बगैर भाग गया। इसके बाद से मंडी में बवाल शुरू हुआ। मंंडी प्रशासन बेबस नजर आया और अन्नदाता की आंखों में आंसू आ गए। बाद में कंचनश्री ट्रेडर्स का व्यापारी भागा। एक अन्य व्यापारी फरार हुआ। सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई लेकिन कोई भी व्यापारी पुलिस गिरफ्त में नहीं आ सका। किसानों को भुगतान का आश्वासन दिया लेकिन भुगतान होगा कैसे यह कोई नहीं बता सका। यह पूरा घटनाक्रम हुआ मंडी सचिव अश्विन सिन्हा के कार्यकाल में, जिन पर लापरवाही के आरोप लगे। पूरे घटनाक्रम में प्रांगण प्रभारी समेत कुछ कर्मचारियों को निलंबित किया गया और सचिव को नोटिस दिया, लेकिन व्यवस्थाएं सुधर नहीं पाई।
व्यापारी के गोदाम किए सील

मंडी प्रशासन व जिला प्रशासन ने व्यापारी दिलीप अग्रवाल निवासी शिप्रा के गोदाम सील किए। मंडी अधिकारियों का कहना है कि व्यापारी अग्रवाल के गोदाम में जो माल रखा है वह उन व्यापारियों का है जो भाग गए हैं। व्यापारी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिसे कोर्ट से जमानत मिल गई। व्यापारी ने मंडी प्रशासन पर झूठी कार्रवाई के आरोप लगाए। मंमगलवार को कलेक्टर से मिलने पहुंचे। व्यापारी एसोसिएशन के शरद अग्रवाल साथ थे। कहा कि तहसीलदार ने गोदाम सील कर दिए। कोई सूचना, नोटिस नहीं दिया। कलेक्टर ने कहा कि मामले को दिखवाते हैं। यदि गलती नहीं है तो कुछ नहीं होगा।
आज भुगतान का आश्वासन

27 मई को किसानों को भुगतान का आश्वासन दिया था। किसान पहुंचे भी सही लेकिन मंडी सचिव भुगतान नहीं कर सका। किसान उग्र हो गए। नारेबाजी की। विवाद की स्थिति बनी। पुलिस आई, लेकिन किसान नहीं माने और मंंडी सचिव को कक्ष में बंद कर ताला लगा दिया। भय के कारण सचिव बाहर नहीं आ सके। खिड़की में से मोबाइल देकर एसडीएम से बात करवाई। 29 मई को भुगतान का आश्वासन मिला । आज किसान भुगतान के लिए पहुंचेंगे, लेकिन यदि भुगतान न हो सका तो किसान आंदोलन करेंगे। पहले ही किसान आंदोलन की चिंगारी से पुलिस-प्रशासन भयभीत है। ऐसे में यदि मंंडी में किसानों ने आंदोलन किया तो व्यवस्था चरमरा जाएगी।
निलंबन के लिए लिखा पत्र

मंडी सचिव की लापरवाही सामने आने के बाद प्रशासन सख्त हुआ है। कलेक्टर डॉ. श्रीकांत पांडेय ने पूरे मामले की जांच की। अपने स्तर पर जानकारी जुटाई। इसमें मंडी सचिव अश्विन सिन्हा की लापरवाही सामने आई। इसके बाद मंडी बोर्ड के प्रबंधक को पत्र लिखा। इसमें मंडी सचिव की लापरवाही का जिक्र कर उन्हें निलंबित करने की बात कही है। कलेक्टर डॉ. पांडेय ने बताया कि मामले में मंडी सचिव की लापरवाही सामने आई है। इस कारण अप्रैल माह में एमडी मंडी बोर्ड को सचिव के निलंबन के लिए पत्र लिखा है। किसानों के साथ अन्याय नहीं होगा। किसानों की समस्या सुलझाना हमारी प्राथमिकता है। किसानों को उनकी उपज का भुगतान हर हाल में किया जाएगा। दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों व व्यापारियों को बक्शा नहीं जाएगा।
मंडी अधिनियमों का नहीं हुआ पालन

मंडी एक्ट की बात करें तो अब तक हुए घटनाक्रम में मंडी अधिनियमों का पालन नहीं किया गया। अधिकारियों की लापरवाही से सबकुछ हुआ। जानकारी के मुताबिक मंडी एक्ट की धारा ३३-२ (क) (ख) में प्रावधान है कि जिस दिन किसानों का तौल होता है उसी दिन उनका भुगतान होना चाहिए। यदि भुगतान में देरी होती है तो एक प्रतिशत प्रतिदिन के हिसाब से ब्याज देना पड़ता है। पांच दिन तक यह ब्याज लगता है। पांच दिन बाद भी भुगतान न हो तो स्वत: लायसेंस निरस्त हो जाता है। जब तक किसानों का भुगतान न हो जाए तब तक व्यापारी का माल प्रांगण से बाहर नहीं जा सकता। व्यापारी के भागने पर उसकी एफआईआर का प्रावधान है। भुगतान न होने की दशा में मंडी समिति से भुगतान करवाए जाने तक का नियम है लेकिन इन पूरे घटनाक्रमों में नियमों का पालन नहीं हुआ जिस कारण यह स्थिति बनी।
पुलिस ने दर्ज किया केस

कंचनश्री ट्रेडर्स के फरार व्यापारी के मामले में मंडी सचिव ने पुलिस थाने में केस दर्ज करवाया। बीएनपी थाना पुलिस ने बताया कि आरोपी का नाम हिमेश पिता रविकांत सेठिया है। १५ से २२ अप्रैल के बीच घटना हुई। किसानों से उपज खरीदकर भुगतान नहीं किया। अमानत में खयानत का केस दर्ज किया है।

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