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चुनाव से पहले उम्मीदवार में उलझी कांग्रेस, नहीं थम रही कलह

–टिकट मिलने से पहले ही उठ रहे विरोध के स्वर –कबीर गायक का नाम सामने आया तो सोशल मीडिया पर विरोध दर्ज करवाने लगे कार्यकर्ता–कार्यकर्ता कह रहे–पार्टी में व्यक्ति का कद तो बढ़ रहा मगर पार्टी का कद घटा

देवासMar 19, 2019 / 12:12 pm

हुसैन अली

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देवास. मप्र में सरकार बनाकर दिल्ली में वापसी की आस लगाए बैठी कांग्रेस में स्थिति सुधर नहीं पा रही। सबसे बड़ी समस्या गुटबाजी है जिसके चलते कार्यकर्ता परेशान हैं। हालात ऐसे हैं कि अभी टिकट के लिए दावेदारों के नाम ही चल रहे हैं लेकिन कुछ लोग इन नामों का अभी से विरोध करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर रहे हैं। इसके चलते स्थिति और उलझ गई है। कार्यकर्ता कह रहे हैं कि पार्टी में व्यक्ति का कद बढ़ा है और पार्टी का छोटा, जिस कारण ऐसा हो रहा है।
दरअसल बात इसलिए उठी क्योंकि बीते कुछ दिनों से देवास-शाजापुर लोकसभा सीट से कबीर भजन गायक का नाम दमदारी से सामने आया। बताया गया कि वे दिल्ली जाकर बैठ गए और इस नाम का वजन इसलिए भी बढ़ा क्योंकि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने यह नाम रखा। इसके चलते दूसरे दावेदार तो सकते में आए ही लेकिन कांग्रेस के वे नेता भी दुविधा में पड़ गए जो अपने समर्थकों या रिश्तेदारों को टिकट दिलाना चाह रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने सभी बड़े नेताओं से नाम मांगे। ऐसे नाम जो चुनाव जीत सके, मगर इस मामले में दिग्विजय सिंह बाजी मार ले गए और तत्काल नाम बता दिया। जीत की संभावना भी बता दी और दूसरे नेता जिनका इस संसदीय सीट पर खासा दखल है वे तय ही नहीं कर पाए कि किसे टिकट देना चाहिए।
भजन करने से मिल रहे चुनाव के टिकट

कबीर गायक का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस में अभी से विरोध शुरू हो गया। टिकट अभी तय नहीं हुआ लेकिन विरोध के स्वर उपज रहे हैं। कांग्रेस आईटी सेल के दो कार्यकर्ताओं ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर कर विरोध दर्ज करवाया है। इनमें एक गौरव जोशी है तो दूसरे मलखान सिंह देवड़ा। मलखान सिंह देवड़ा ने पोस्ट में लिखा है कि भजन करने से भगवान मिलते हैं ये तो सुना था, लेकिन भजन करने से चुनाव के टिकट मिल रहे हैं ये पहली बार देख रहा हूं। मेरे राम गाड़ी वाले। इस पोस्ट पर कई कांग्रेसजनों ने कमेंट कर अपने विचार रखे। इसी तरह जोशी ने पोस्ट में लिखा है कि चुनाव में कांग्रेस ऐसे व्यक्ति को टिकट दे जो कम से कम कांग्रेस का सक्रिय सदस्य हो। जिसने पार्टी के लिए विपरीत परिस्थितियों में लड़ाई लड़ी हो। १५ साल विपक्ष में रहते हुए पुलिस के डंडे खाए हो, जो लोकसभा के समस्त कार्यकर्ताओं को जानता हो। लोकसभा छोटा चुनाव नहीं है। भले ही कार्यकर्ता आर्थिक रूप से कमजोर हो लेकिन उसकी संगठन के प्रति आस्था हो, लोकसभा देवास के लिए कोई विजन हो। १५ लाख मतदाता वाले क्षेत्र में बहुत से ऐसे नेता कार्यकर्ता है जो कांग्रेस से लोकसभा लड़ सकते हैं। क्षेत्र में लगभग २ हजार गांव, तीस नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद है। उनमें ही बहुत सी प्रतिभाएं हैं। आगे संगठन जो फैसला ले मंजूर है।
आपस की लड़ाई में पार्टी का नुकसान

ये दो पोस्ट तो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई लेकिन इसके अलावा भी ऐसे कई कांग्रेसी हैं जो विरोध कर रहे हैं। इस विरोध की सबसे बड़ी वजह यही है कि जिसने पार्टी का काम नहीं किया उसे टिकट क्यों दिया जाए। कांग्रेस का ही एक धड़ा इसके विरोध में हाईकमान तक बात पहुंचा रहा है और कह भी रहा है कि टिकट मिल गया तो देवास सीट हार जाएंगे। कुछ पुराने कांग्रेसी कह रहे हैं कि भजन गाना अलग बात है और चुनाव लडऩा अलग बात। जिसको राजनीति का ही अनुभव नहीं है उसे टिकट देकर पार्टी हार की ओर ही बढ़ेगी। जो नेता टिकट दिलवा रहा है क्या वह खुद अपना चुनाव छोड़कर यहां काम कर सकेगा। ऐसे में गुटबाजी के कारण विरोधी गुट विरोध में ही काम करेगा और नेताओं की आपसी लड़ाई में पार्टी का नुकसान होगा।

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