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पटवारी का नाम पहले नहीं था अतिथि में, बाद में जुड़ा तो उठे सवाल- देवास से खुद दूर रह रहे या दूर रखे जा रहे..!

–पुराने किस्से आए कांग्रेसियों की जुबां पर…न गणतंत्र दिवस पर आए प्रभारी मंत्री न लोकार्पण समारोह में, तबादलों के बाद भी झलकी थी नाराजगी

देवासApr 10, 2019 / 11:39 am

Amit S mandloi

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देवास. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस की आज बड़ी बैठक होगी। अब तक आपस में उलझी रही कांग्रेस एकजुटता की कोशिश करेगी। सबको साधकर चलने की नीति पर फोकस रहेगा। बातें इसी तरह की हो रही है और बैठकों में यह सब कहा भी जा रहा है लेकिन राह आसान नहीं दिख रही। कांग्रेस उम्मीदवार कबीर के भजनों के सहारे सियासी तंबूरा बजा रहे हैं लेकिन कई कांग्रेसी ही तंबूरे के स्वरों को पसंद नहीं कर पा रहे हैं। चुनाव में कौन कितना साथ रहेगा और कितना साथ देगा इस पर मंथन शुरू हो चुका है और नेताओं की निष्ठा की चर्चा होने लगी है।
दरअसल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। अलग-अलग क्षेत्रों में बैठकें हो रही हैं। इस क्रम में देवास में आज बैठक रखी गई है लेकिन यह बैठक शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई और गुटबाजी की चर्चा होने लगी। यह चर्चा इसलिए हुई क्योंकि बैठक को लेकर कांग्रेस अतिथि में ही उलझ गई। प्रवक्ता ने पहले जो सूचना जारी की उसमें कांग्रेस उम्मीदवार प्रह्लाद टिपानिया के साथ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के अतिथि होने की बात लिखी, लेकिन बाद में दूसरी सूचना सोशल मीडिया पर आई जिसमें प्रभारी मंत्री जीतू पटवारी के भी बतौर अतिथि बैठक में आने की बात कही गई। इसके बाद से कांग्रेसी ही चर्चा करते रहे कि मंत्री और प्रभारी मंत्री के खेमे में जो खाई पड़ चुकी है वह आसानी से नहीं भर सकेगी।
प्रभारी मंत्री बने लेकिन देवास से रही दूरी

असल में सरकार बनने के बाद जीतू पटवारी को देवास का प्रभारी मंत्री तो बना दिया लेकिन देवास से वे दूर ही रहे या दूर रखे गए। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का ही इस क्षेत्र में दखल बना हुआ है। गणतंत्र दिवस पर प्रभारी मंत्री ध्वजारोहण तक करने नहीं आए। तब कांग्रेसियों ने दूसरा तर्क देकर बचाव किया लेकिन बीते दिनों हुए एसपी ऑफिस के नए भवन के लोकार्पण में न पटवारी आए न पटवारी समर्थक विधायक मनोज चौधरी। शिलालेख पर न पटवारी का नाम लिखा गया न ही गृह मंत्री का। देवास की भाजपा विधायक का नाम जरुर लिखा और उन्हें कार्यक्रम में बुलाया भी। इसे लेकर कांग्रेसी चर्चा करते रहे और कांग्रेस-पैलेस के पैक्ट की बातें हुई। पूरे घटनाक्रम से पटवारी नाराज हुए। इसके बाद जब नए एसपी देवास आए और तबादलों की हवा चली तो शहर अध्यक्ष का नाम सामने आया। कहा गया कि उनके इशारे पर सब हो रहा है। इस पर भी पटवारी नाराज हुए और दो गुटों के बीच की खाई बढ़ती गई। थोड़ा और पीछे जाएं तो पटवारी ने एक कार्यक्रम में राजानी पर तंज कसते हुए यहां तक कह दिया था कि वे तबादले में व्यस्त हैं। बाद में अपनी बात बदलते हुए कहा कि राजानी मेरे भाई है मगर तब तक तीर कमान से निकल चुका था और बात दूर तक जा चुकी थी।
होने लगी चर्चा-आधे इधर, आधे उधर…

बैठक में जब पटवारी का नाम बाद में जुड़ा तो पुराना घटनाक्रम कांग्रेसियों की जुबां पर आ गया। यहां तक कहा गया कि चुनाव में टिपानिया को टिकट भी दिग्विजय सिंह कोटे से मिला है जिसका विरोध भी हुआ था लेकिन बाद में सहमति दी गई। सवाल यह भी है कि कांग्रेस का ही एक गुट बागली विधानसभा जाकर खंडवा संसदीय सीट का काम संभालेगा तो दूसरा गुट भोपाल पहुंचेगा। कुछ उज्जैन जाएंगे तो कुछ दूसरे क्षेत्रों में। विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ था और खुद मंत्री सज्जन वर्मा के समर्थक देवास के बजाय सोनकच्छ में काम कर रहे थे। संगठन ने देवास में उतनी मेहनत नहीं की जितनी बातें हुई थी और नतीजा यह हुआ कि भाजपा प्रत्याशी 27 हजार से अधिक मतों से विजयी हुई। कांग्रेस उम्मीदवार रहे जयसिंह ठाकुर का दर्द भी छलका और उन्होंने कुछ कांग्रेस नेताओं की हाईकमान से शिकायत तक कर दी। यहां तक कहा कि देवास वालों ने मिलकर हरा दिया। लोकसभा चुनाव में भी यही बात शुरू हो चुकी है।
कोई गिला-शिकवा नहीं

शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने कहा कि पहले पीसीसी से मंत्री पटवारी का नाम आया था। बाद में उनकी सहमति मिली तो उनका नाम जुड़ा। कांतिभाई का भी नाम अतिथि में है। और भी दूसरे नाम हंैं। कांग्रेस में किसी तरह का गिला-शिकवा नहीं है। बैठकें लेकर सभी को बता दिया है। जिम्मेदारी बांट दी गई है। किसे क्या काम करना है यह बता दिया गया है। सभी को बैठक की सूचना भी दी गई है।

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